झंडे जी के आरोहरण के साथ ही आज ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो गया है। सुबह सात बजे से ही दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई और झंडे जी पर गिलाफ चढ़ाए गए। इसके बाद शाम चार बजे झंडे जी का आरोहण किया गया।
हरभजन सिंह पुत्र हरी सिंह ने चढ़ाया झंडे जी को गिलाफ
आज शाम चार बजे झंडे जी का आरोहण हो गया है। इस बार इस बार पंजाब के होशियारपुर निवासी हरभजन सिंह पुत्र हरी सिंह को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य मिला है। बता दें कि हरभजन सिंह ने 108 साल पहले इसके लिए रजिस्ट्रेशन किया था। दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के हजारों श्रद्धालु साक्षी बने।
झंडे मेले की परिक्रमा करता है बाज
मान्यता है कि हर साल जैसे ही झंडेजी का आरोहण होता है। एक बाज परिक्रमा करते हुए उनके ऊपर से गुजरता है। इसे गुरु रामराय महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति एवं आशीर्वाद माना जाता है। बताया जाता है की यह बाज हर साल झंडेजी के आरोहण पर परिक्रमा करता है। इसे गुरु महाराज का आशीर्वाद माना जाता है।
कौन हैं श्री गुरु रामराय जी महाराज ?
झंडेजी मेले का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। श्री गुरु रामराय महाराज जी का देहरादून आगमन 1676 में हुआ था। गुरु महाराज जी ने श्री दरबार साहिब में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इस ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया था।
इसके साथ ही श्री झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हुई। गुरु रामराय महाराज को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। गुरु रामराय महाराज जी सिखों के सातवें गुरु हरराय के बड़े पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर के कीरतपुर गांव में हुआ था।