“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में मां आई।” इस फेमस शायरी को तो आपने सुना ही होगा या फिर सोशल मीडिया पर पढ़ा होगा। इसी फेमस शायरी को लिखने वाले शायर मुनव्वर राणा अब इस दुनिया में नहीं रहे।
उर्दू के शायर Munawwar Rana की कुछ फेमस शायरियां
रविवार को उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन हो गया। लखनऊ पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली। 71 साल के शायर काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। जिसकी वजह से उन्हें लखनऊ पीजीआई में एडमिट कराया गया। मुनव्वर ने अपना पूरा जीवन उर्दू साहित्य की रचनाओं में बिता दिया। मां पर लिखी शायरियों के लिए मुनव्वर राणा काफी फेमस थे। उनकी कुछ शायरी जुबां पर भी रटी हुई हैं।
- वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया,
माँ के आंखें मूँदते ही घर अकेला हो गया।
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है। - किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में मां आई। - सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं,
हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं। - भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है,
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है। - किसी भी मोड़ पर तुमसे वफादारी नहीं होगी,
हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी। - कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा। - उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर
ये पेड़ सिर्फ बीच में आने से कट गया - मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता,
अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता। - अपनी फजा से अपने जमानों से कट गया,
पत्थर खुदा हुआ तो चट्टानों से कट गया - तुम्हे भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी,
चलो हम आज ये किस्सा अधूरा छोड़ देते हैं। - सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है,
मगर जब गुप्तगू करता है चिंगारी निकलती है।