उत्तरकाशी: विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष कराने का जिम्मा चुनाव आयोग का होता है। साथ ही वोटरों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो, इसकी व्यवस्था भी चुनाव आयोग को ही करनी होती है। इसके लिए चुनाव आयोग अलग-अलग तरह से पूरे पांच साल तक तैयारी में जुटा रहता है। डाटा जुटाया जाता है। पोलिंग बूथों की स्थितियों को आंकलन किया जाता है। उसके बाद तय होता है कि चुनाव कैसे कराए जाने हैं। इस बार कई चीजें पहली बार हो रही हैं।
उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार समुद्र तल से 3200 मीटर ऊंचाई पर पोलिंग बूथ बनाया गया है। हालांकि, 2019 के लोक सभा चुनाव में यहां पोलिंग बूथ बनाया गया था। तब परिस्थियों कुछ और होती हैं और वर्तमान में स्थित कुछ और है। गंगोत्री धाम को विधानसभा चुनाव में पहली मर्तबा मतदान केंद्र बनाया गया है। यह उत्तराखंड में सबसे ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र है। गंगोत्री धाम में 137 मतदाता पंजीकृत हैं, जिसमें अधिकांश साधु-संन्यासी शामिल हैं।
उच्च हिमालय में स्थित गंगोत्री धाम में वर्षों से कई साधु तप कर रहे हैं। वर्तमान में साधुओं और आश्रम संचालकों सहित गंगोत्री धाम में 137 मतदाता हैं, जिनमें 10 महिला मतदाता भी शामिल हैं। मतदाताओं की संख्या कम होने के कारण इससे पहले विधानसभा चुनाव में कभी गंगोत्री में मतदान केंद्र नहीं बनाया गया। इससे पहले गंगोत्री धाम के मतदाताओं को वोट देने के लिए 25 किलोमीटर दूर धराली या फिर 29 किलोमीटर दूर मुखवा आना पड़ता था।
मतदाताओं की समस्याओं को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए भी गंगोत्री में पोलिंग बूथ बनाने का निर्णय लिया। गंगोत्री से पांच किमी दूर कनखू के पास साधना कर रहे स्वामी रामकृष्ण दास का कहना है कि विधानसभा चुनाव में गंगोत्री में मतदान केंद्र बनने से क्षेत्र में रहने वाले साधू-संतों की परेशानी कम हो गई है।
जिला निर्वाचन अधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि जिले में गंगोत्री धाम सहित कई हिमाच्छादित मतदान केंद्र हैं। इन मतदान केंद्रों पर समय से पोलिंग पार्टी भेजने के लिए सभी उप जिलाधिकारियों ने योजना बनाई है। अगर बारिश या बर्फबारी होती है तो इसके लिए पोलिंग पार्टियों को उस हिसाब से रवाना किया जाएगा। रास्तों की स्थिति की रिपोर्ट जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट नियमित रूप से देंगे।