लैंसडौन: लैंसडौन वन प्रभाग में कई तरह के वन्यजीव हैं। लेकिन, इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी संख्या अब बहुत कम बची है। ये विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं। लैंसडौन वन प्रभाग में पहली बार लैंसडौन में ऐसा ही एक खास जीव नजर आया है। ये केवल रात में ही नजर आती है। हालांकि, इससे पहले कोटद्वार में ये नजर आ चुकी है।
लैंसडौन खास तरह की उड़न गिलहरी नजर आई है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में इस जीव को शेड्यूल-टू में रखा गया है। लैंसडौन और आसपास के क्षेत्रों में वन्य जीवों को कैमरे में कैद करने के शौक ने वन्य जीव प्रेमी विनीत बाजपेयी ने इसे कैमरे में कैद किया है। विनीत के कैमरे में वह इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल कैद हुई। इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल करीब-करीब गायब ही हो गया था।
इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल चीन, इंडोनेशिया, म्यामार, श्रीलंका, ताइवान व थाइलैंड में पाई जाती है। लैंसडौन वन प्रभाग भी यह मान चुका है कि इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल पहले नजर आती रही है। लेकिन, पिछले 30 सालों से यह नजर नहीं आ रही थी। उड़न गिलहरी चीड़ और साल के जंगलों में पाई जाती है। ऐसे में लैंसडौन में उड़न गिलहरियों की संख्या अधिक हो सकती है। लेकिन, अब तक इसकी गिनती नहीं की गई है।