देहरादून : विधानसभा चुनाव से पहले बगावती सुर उठने लगे हैं. कोई कांग्रेस से बीजेपी तो कोई बीजेपी से कांग्रेस में जाकर अपनी किस्मत आजमाना चाहता है हालांकि इसका फैसला जनता के हाथ में है कि वो किस के सिर पर ताज सजाते हैं। लेकिन इससे पहले सत्ता के मंत्री विधायकों के बीच रार खुलकर सामने आ रह रही है और साथ में ही नाराजगी भी।
बता दें कि बीते दिन मदन कौशिक के हरक सिंह रावत को ब्रेकफास्ट के लिए किए गए फोन से हलचल मच गई। सियासी भूचाल आ गया। खबरें उड़ने लगी कि हरक सिंह रावत नाराज हैं और वो पार्टी छोड़ सकते हैं। हरक सिंह रावत ने मीडिया के सामने ये बात कुबूल नहीं की और कहा कि वो भाजपा में रहकर ही काम करेंगे। इस पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी बयान दिया था और कहा था कि जिसको जाना है वो जाए, किसी को रोका नहीं है। पार्टी ने सबको सम्मान दिया।
त्रिवेंद्र का बागियों पर वार
तो वहीं हरक सिंह रावत ने त्रिवेंद्र रावत पर पलटवार करते हुए कहा कि त्रिवेंद्र रावत बेरोजगार हैं और इसलिए वो पर्यावरण सरंक्षण के लिए पौधे लगा रहे हैंं। वहीं अब त्रिवेंद्र रावत ने बागियों के लिए कहा कि चुनावी बयार में हल्के फुल्के सूखे पत्ते इधर-उधर उड़ते रहते हैं..उन्होंने कहा कि बागियों को अब मौका मिला तो उन्होंने बोलना शुरू कर दिया. उनको लगता है कि इस समय अच्छा मौका है..उनको लगता है कि इससे कुछ न कुछ लाभ मिल जाएगा..उन्होंने कहा कि पार्टी को दबाव में नहीं आना चाहिए.
कुछ लोग भाग्य की खाते हैं, कुछ लोग मेहनत की
त्रिवेंद्र के इस बयान पर हरक सिंह रावत ने पलटवार किया..हरक ने कहा कि कुछ लोग भाग्य की खाते हैं, कुछ लोग मेहनत की..हमने ज्यादा खोदा पानी कम मिला। हरक सिंह रावत ने कहा कि कुछ लेागों ने कम खुदान किया. उनकेा ज्यादा पानी मिल गया..उन्होंने कहा त्रिवेंद्र रावत 2002 में विधायक बने तीसरी बार में सीएम बन गए.