देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने भले ही उपनल कर्मचारियों को सौगात देते हुए, मानदेय वृद्धि का तोहफा दे दिया हो, लेकिन उपनल कर्मचारी सरकार से फिर भी नाराज हैं। उपनल कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि वह एक बार फिर हड़ताल पर जाने वाले हैं। सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की, बल्कि उनको झुनझुना थमा दिया है।
उत्तराखंड में जब से धामी सरकार आई है। कर्मचारियों की मांगों को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है। कई सौगातें जहां कर्मचारियों को धामी सरकार ने दी हैं।, वहीं उपनल कर्मचारियों को भी धामी सरकार ने बड़ी सौगात देते हुए मानदेय वृद्धि का तोहफा दिया। लेकिन, उपनल कर्मचारी फिर भी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं। कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि वह 28 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों को न माने जाने पर फिर से आंदोलन पर जाने को बाध्य होंगे।
उपनल कर्मचारी इसलिए भी नाराज बताए जा रहे हैं कि जिस कैबिनेट की उप समिति में उनकी मांगों को मानने को लेकर सहमति बनी थी। उस कैबिनेट की उप समिति पर कैबिनेट बैठक में चर्चा ही नहीं हुई और केवल मानदेय विधि का तोहफा सरकार की ओर से उपनल कर्मचारियों को दे दिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि जो सहमति कैबिनेट की उप समिति में बनी थी। उनको सरकार लागू करें।
उप समिति में बनी सहमति के अनुसार उनको न्यूनतम वेतन कुशल श्रेणी का 15000, कुशल श्रेणी का 19000, उच्च कुशल श्रेणी का 22000, अधिकारी वर्ग का 40000 किया जाए। साथ ही किसी भी कर्मचारी को उपनल के माध्यम से हटाया नहीं जाएगा। यह भी सरकार नियम बनाए। अर्धकुशल श्रेणी को समाप्त करते हुए कुशल श्रेणी में सम्मिलित किया जाएं। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि उपनल कर्मचारियों की मांगों को वह सरकार के समक्ष रखेंगे।
उपनल कर्मचारियों ने एक बार फिर से सरकार को हड़ताल पर जाने को लेकर अल्टीमेटम दे दिया है। ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर 28 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में क्या सरकार उपनल कर्मचारियों की मांगों पर मुहर लगाती है या फिर मांगे न माने जाने पर उपनल कर्मचारी आंदोलन का रूख अपनाते हैं। इस पर सभी की नजरें होंगी।