महिलाओं के लिए आदर्श रहीं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल फातिमा बीवी को मरणोपरांत पद्म भूषण सम्मान दिया गया है। नवंबर 2023 में फातिम बीवी ने 96 साल की उम्र में अंतिम सांस ली थी। इनका नाम न्यायपालिका ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं।
कौन थी फातिमा बीबी?
फातिमा बीवी का जन्म अप्रैल 1927 में केरल के पतनमतिट्टा जिले के पंडालम में हुआ था। उन्होनें कैथोलिकेट हाई स्कूल से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और तिरूवंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में दाखिला लेकर बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होनें यहां के विधि डिग्री कॉलेज से लॉ की पढ़ाई पूरी की और 1950 में वकील के रुप में पंजीकरण कराया।
इसके बाद 1958 में फातिमा बीवी अपनी मेहनत से केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिप के पद पर नियुक्त की गई। साल 1968 में उन्हें अधीनस्थ न्यायाधीश बना दिया गया। इसके चार साल बाद वह 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनी। वहीं 1974 में उनकी नियुक्ति जिला जज के तौर पर कर दी गई। 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रुप में नियुक्त किया गया। इसके बाद 1983 में बीवी को केरल हाईकोर्ट में प्रमोट किया गया। इसके अगले ही साल उन्हें स्थायी जज बना दिया गया।
1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज
न्याय के क्षेत्र में लंबा काम करने के बाद फातिमा बीवी 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनीं। 1992 में वह सेवानिवृत्त हुई थीं। लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग का सदस्य बनाया गया।
1997 में बनी तमिलनाडु की राज्यपाल
1997 में वह तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं थीं। इस पद पर रहते हुए उन्होनें राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी। राज्यपाल के रुप में अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु विश्वविघालय के चांसलर के रुप में भी उन्होनें काम किया।
पहली महिला जज का खिताब फातिमा बीबी के नाम
फातिम बीवी हायर कोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला जज भी थीं। इसके साथ ही एशिया में एक देश के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला जज का खिताब भी उन्हीं के नाम पर हैं।