श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में मोर्चरी के बाहर जबरदस्त हंगामा चल रहा है। लोगों ने अंकिता भंडारी के शव के अंतिम संस्कार को रोक दिया है। पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए अंकिता के शव को मोर्चरी से निकालने की कोशिश की इसके बाद भीड़ लगभग बेकाबू हो गई। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में मुश्किल हो रही है।
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दरअसल पुलिस चाहती थी कि आज ही अंकिता का अंतिम संस्कार कर दिया जाए लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। मोर्चरी के बाहर सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ जुटने लगी थी। धीरे धीरे श्रीनगर के अलग अलग गांवो के साथ ही आसपास के इलाके के लोग भी पहुंच गए और हजारों लोगों की भीड़ मोर्चरी के सामने हाईवे पर खड़ी हो गई। इसके चलते हाईवे जाम हो गया। लोगों की मांग है कि अंकिता के दोषियों को फांसी दी जाए। अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और इसके साथ ही अंकिता का केस फास्टट्रैक कोर्ट में चले। लोगों ने साफ कर दिया है कि इस बारे में लिखित आश्वासन मिलने तक वो अंकिता का अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे।
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वहीं मोर्चरी के बाहर पुलिस ने बल प्रयोग कर अंकिता के शव को निकालने की कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई। लोग बेहद उग्र हो गए और बिल्कुल मोर्चरी के गेट पर पहुंच गए। युवा और महिलाओं ने पूरी मोर्चरी को घेर लिया। पुलिस ने डंडे फटकार कर और धक्के देकर लोगों को पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। लोग और नाराज हो गए और पुलिस से भिड़ गए। इसके बाद पुलिस को पीछे हटना पड़ गया।
मौके पर न तो पुलिस के आला अधिकारी पहुंचे हैं और न ही कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि है। हैरानी है कि इतनी बड़ी घटना के बाद मौके पर चमोली एसपी श्वेता चौबे और एएसपी शेखर सुयाल ही दिखे। बताया गया था कि डीआईजी गढ़वाल मौके पर हैं लेकिन भीड़ के बीच वो कहीं नहीं दिखे हैं। डीजीपी अशोक कुमार भी देहरादून में ही बैठे हुए हैं। जनता को समझाने और मनाने के लिए कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा है। ऐसे में सवाल ये है कि इतनी बड़ी भीड़ को देखते हुए भी बड़े पुलिस अधिकारी क्यों नहीं पहुंचे?