देहरादून : बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने उत्तराखंड में स्कूल खोलने का फैसला लिया है। 1 अगस्त को रविवार है इसके चलते 2 जुलाई को स्कूल खुलेंगे। 2 जुलाई को एक बार फिर से बच्चे स्कूल में आकर पढ़ेंगे। 2 साल से भी ज्यादा समय के बाद बच्चे बस्ता का बोझ लेकर स्कूल पहुंचेंगे और क्लास में पढ़ाई करेंगे। बता दें कि 2 अगस्त से 6वीं से लेकर 12वीं तक के बच्चे स्कूल आएंगे और उनकी पढ़ाई होगी। इस दौरान कोविड नियमों का पालन किया जाएगा। स्कूल खोलने से पहले ही साफ-सफाई और सैनिटाइज कराने के निर्देश शिक्षा सचिव राधिका झा ने दिए है।
वहीं इसी के साथ मैदानी जिलों में अधिक छात्रों की संख्या देखते हुए विद्यालयों को दो पालियों में संचालित करने की कार्ययोजना मुख्य शिक्षाधिकारी बनाएंगे। इस दौरान स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाएगा। आपको बता दें कि सचिवालय में शिक्षा सचिव राधिका झा ने विभागीय समीक्षा की। विद्यालयों को खोलने से पहले सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों, जिला शिक्षाधिकारियों, खंड शिक्षाधिकारियों एवं उप शिक्षाधिकारियोंकी विद्यालयों में कोरोना से सुरक्षा मानकों के पालन के लिए जवाबदेही तय कर दी गई है।
गैर हाजिर विद्यार्थियों को मोबाइल फोन से जोड़कर ऑनलाइन कराई जाएगी पढ़ाई
सचिव ने कहा कि विद्यालय खोलने से पहले स्वच्छता, पेयजल, शौचालय, सैनिटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने अधिक संख्या में शिक्षकों, भोजनमाताओं और शैक्षणिक व शिक्षणेत्तर कार्मिकों का टीकाकरण कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने बताया कि शिक्षा महानिदेशक विद्यालयों में कोविड गाइडलाइन का पालन कराने के लिए चिकित्सा विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग के समन्वय से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेंगे। विद्यालयों में मास्क के इस्तेमाल और सुरक्षित शारीरिक दूरी, सैनिटाइजेशन का विशेष ध्यान रखा जाएगा। विद्यालयों को इसकी तैयारी करने और इस व्यवस्था को दिनचर्या का हिस्सा बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। आफलाइन के साथ आनलाइन पढ़ाई की सुविधा विद्यार्थियों को दी जाएगी। गैर हाजिर विद्यार्थियों को मोबाइल फोन से जोड़कर ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।
एक रंग में नजर आएंगे स्कूल
एससीईआरटी व अकादमिक निदेशालय के स्तर पर कैरियर काउंसिलिंग के लिए टोल फ्री नंबर स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना काल में आनलाइन पढाई का ब्योरा एकत्र किया जाएगा। सचिव ने शिक्षकों का वाट्सएप ग्रुप अनिवार्य रूप से बनाकर उनसे विद्यार्थियों को जोड़ने को कहा है। शैक्षिक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को शासन व निदेशालय स्तर से जिलों के अधिकारियों को नामित किया जाएगा।इतना ही नहीं अब स्कूल अलग अलग नहीं बल्कि एक ही रंग में नजर आएंगे।