- Advertisement -
तमिलनाडु के कुन्नूर में 8 दिसंबर को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में अकेले जिंदा बचे ग्रुप कैप्टन वरुण 7 दिन तक जिंदगी औऱ मौत के बीच जंग लड़ते रहे और 8 वें दिन उन्होंने दम तोड़ दिया। आज भोपाल में वरुण सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वरुण आज पंचतत्व में विलीन हो गए। इस दौरान परिवार ने गजब की हिम्मत दिखाई। खासतौर पर शहीद की मां ने।
पत्नी बोली- वरुण… आई एम सॉरी
शहीद का पार्थिव शरीर उनके भोपाल स्थित सन सिटी कॉलोनी घर लाया गया। पूरे रास्ते लोग भारत माता की जय, वरुण सिंह अमर रहें, के नारे लगाते चले। घर में वरुण की बहन दिव्या अपने शहीद भाई के शव का आरती की थाली लेकर इंतजार करते रहे।जैसे ही पार्थिव शरीर घर आया पहले बहन और फिर पत्नी गीतांजलि ने वरुण के ताबूत पर तिलक किया। वरुण की पत्नी गीतांजलि पार्थिव शरीर के पास पहुंची तो भावुक हो गई, हालांकि उसने अपनी आंखों में आंसू नहीं आने दिए। वह अपने पति से बोली , वरुण… आई एम सॉरी, मेरी कोई बात गलत लगी हो तो मुझे माफ कर देना।
- Advertisement -
मां ने बहू के कंधे पर हाथ थपथपाते हुए कही ये बात
इस पर वरुण की मां उमा सिंह ने बहू गीतांजलि के कंधे पर हाथ थपथपाते हुए कहा कि ये मेरी बहादुर बेटी है…वीरांगना है। वहीं वरुण के पिता केपी सिंह ने ताबूत खोलकर आखिरी बार परिवार को वरुण का चेहरा दिखाया। इसके बाद मां ने अगरबत्ती लगाई और बेटे की एयरफोर्स की कैप को सीने से लगा लिया।
ह हादसे वाले दिन भी अलविदा कह जाता तो ठीक रहता।
इस दौरान वरुण की मां ने कहा कि मैं मां हूं। और मुझे इस बात का दुख है कि ईश्वर ने मेरे बेटे को 8 दिन अस्पताल में इतनी तकलीफ क्यों दी? मीडिया से मां ने कहा कि 8 दिन पहले क्यों नहीं गया. हम दर्द से तड़पते रहे। वह हादसे वाले दिन भी अलविदा कह जाता तो ठीक रहता। बस एक डीएनए ही तो देना था हमे। मैंने अस्पताल में उसे कहा भी था कि तू चला जा बेटा… हम तुझे आजाद करते हैं। बेटा गौरवपूर्ण गया है। इतनी इज्जत, प्यार और सम्मान मिला है, यही मेरी ताकत है। अपनी किस्मत से आया, अपनी किस्मत से जिया, अपनी किस्मत से लड़ा और अपनी किस्मत से चला गया।
परिवार से मिलने के बाद वरुण के शव को शुक्रवार सुबह 11 बजे भोपाल के बैरागढ़ स्थित यथाशक्ति विश्राम घाट पर लाया गया। यहां वरुण के भाई तनुज सिंह और बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी।