देहरादून: सरकार ने 21 सितंबर से प्राथमिक स्कूल खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं। एसओपी भी जारी हो चुकी है। एसओपी में तमात तरह के नियम गिनाए गए हैं, लेकिन सवाल यह है कि नियमों का पालन कौन कराएगा? कैसे बच्चों को कोरोना से बचाया जाएगा? अमेरिका में भी स्कूल खोले गए थे। वहां स्कूल जाने वाले बच्चों पर कोरोना का कहर बरप रहा है। अमेरिका में 75 लाख से अधिक बच्चे कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। हालांकि, उत्तराखंड में मामले कम हो रहे हैं, लेकिन कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है।
सरकार के इस निर्णय का लोग भी विरोध कर रहे हैं। लोगों को बच्चों की चिंता सता रही है कि कैसे वो अपने बच्चों को कोरोना से बचा पाएंगे। खबर उत्तराखंड ने लोगों से स्कूल खोलने के आदेश को लेकर बात की तो, करीब 82 प्रतिशत लोगों ने सरकार के फैसले को पूरी तरह गलत करार दिया है। लोगों में इस फैसले को लेकर आक्रोश नजर आ रहा है।
बड़ा सवाल यह है कि सरकारी स्कूलों में तो बच्चों की संख्या कम है। बैठने की जगह भी पर्याप्त है। वहां, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो कराया जा सकता है, लेकिन जिन प्राइवेट स्कूलों में एक ही कक्षा में 150 से 200 तक बच्चे बढ़ते हैं, उन स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे कराया जाएगा? कौन स्कूलों में जाकर इस बात की रोजाना निगरानी करेगा कि वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है या नहीं?
सरकार के लिए चिंता की बात यह भी है कि अगर किसी बच्चे को कोरोना हो जाता है और संक्रमण फैल जाता है, तो कौन जिम्मेदार होगा? किसी तरह की दुर्घटना होने की स्थिति में सरा ठीकरा सरकार पर फूटेगा और इसका नुकसान भी सरकार को ही झेलना पड़ सकता है। कुछ मिलाकर सरकार का ये फैसला राजनीति रूप से भी सरकार के लिए घातक हो सकता है।