सिल्कयारा टनल हादसे के रेस्कयू में करीब 100 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। इस घटना के 7 महीने बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए 100 करोड़ रूपए सरकार वसूल नहीं कर पाई है। इसको लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने सरकार की टनल का सेफ्टी ऑडिट वाली घोषणा को लेकर भी सवाल उठाए हैं।
सिलक्यारा टनल हादसे के रेस्क्यू में खर्च हुए थे 100 करोड़
पिछले साल 2023 नवंबर में सिल्कयारा टनल हादसा हुआ था। इस हादसे के सात महीने बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड़ रुपए वसूल नहीं किए जा सके हैं। ना ही यहां पर मलबा साफ किया जा सका है। कांग्रेस ने इसको लेकर सरकरा पर तीखा हमला बोला हैष कांग्रेस का कहना है इस से सरकार और नवयुग कंपनी के बीच की सांठ गांठ समझी जा सकती है।
कांग्रेस मुख्य प्रवक्त गरिम दसौनी का कहना है कि कई विभागों के द्वारा सिलक्यारा टनल हादसे के रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च 100 करोड़ से अधिक के बिल कंपनी को जनवरी 2024 को भेज दिए गए थे। लेकिन आज तक एक पाई भी कंपनी ने भुगतान नहीं किया। इसके साथ ही उनका कहना है कि अब कंपनी ने साफ तौर पर इसका भुगतान करने से मना कर दिया है। ऐसे में ये राशि उन तमाम विभागों के गले पड़ गई है जिन्होंने उस वक्त खर्च किया था। गरिमा दसौनी ने बताया कि एक आरटीआई के मुताबिक करीब 92 लाख एनएचआईडीसीएल के, 5.49 करोड़ एनईसीएल और राज्य के 13 विभागों के करीब 65.41 लाख रुपए इस रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए हैं।
निर्माणाधीन टनलों का ऑडिट वाली घोषणा फाइलों में दबी
इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस संगठन के अध्यक्ष, बैरिस्टर, साइंटिस्ट और इंजीनियरिंग प्रोफेसर अर्नाल्ड डिक्स ने रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका निभाई थी। गरिमा दसौनी का कहना है कि उन्होंने खुलासा किया है कि हादसे से पहले टनल में 21 बार भूस्खलन हो चुका था पर ध्यान नहीं दिया गया।
प्रोफेसर अर्नाल्ड डिक्स ने ये भी बताया कि चयनित एलाइनमेंट भी ठीक नहीं था और इसके ऑडिट में भी अनदेखी हुई थी। दसौनी ने राज्य सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने सिल्कयारा टनल हादसे के तुरंत बाद ये घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी निर्माणाधीन टनलों का ऑडिट होगा परंतु वह घोषणा भी फाइलों में ही दबकर रह गई।
अब तक किसी पर नहीं हुई कड़ी कार्रवाई
दसौनी ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जो टनल के अंदर मलबा आ गया था उसे अब तक साफ नहीं करवाया गया है। गरिमा ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले दिन से राज्य सरकार द्वारा नवयुग कंपनी को क्लीन चिट दिए जाने के विरोध में है और सरकार ने भी कहा था कि मजदूर बाहर आ जाएं तो नवयुग कंपनी पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
कांग्रेस का कहना है कि नवयुगा कंपनी या एनएचआईडीसीएल पर कठोर कार्रवाई तो एक तरफ इन दोनों का उत्तराखंड सरकार आज तक बाल बांका भी नहीं कर पाई है। इस से ही सरकार और इस कंपनी के बीच में सांठ गांठ कितने अंदर तक है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।