देहरादून : भाजपा के लिए चुनाव से पहले हरक सिंह रावत ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। एक के बाद एक नए मामलों के कारण हरक चर्चाओं में हैं, जिसके चलते पार्टी को असहज स्थिति का सामना भी करना पड़ा। हालांकि, इस बार हरक सिंह रावत ने भले ही सीधेतौर पर कुछ ना किया हो, लेकिन जो हो रहा है, उसका कारण हरक सिंह रावत ही हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में गुटबाजी उनके लिए दिक्कतें खड़ी कर सकता है। भाजपा विधायक दिलीप रावत ने पिछले तीन दिनों में अपनी ही सरकार के वन एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ दूसरी बार लेटर बम फोड़कर पार्टी में हलचल मचा दी है।
लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत ने मंत्री हरक सिंह रावत पर उनकी विधानसभा की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए विधानसभा के बाहर भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है। विधायक ने कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) का कार्यालय लैंसडौन से संचालित करने और विद्युत वितरण खंड नैनीडांडा में अधिशासी अभियंता की तैनाती करने की मांग उठाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में तीन दिन में मांग पर कार्रवाई न होने पर विधानसभा के समक्ष आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है।
लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हाल ही में गत 28 दिसंबर को भी एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई थी। अब उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चिट्ठी लिखर है। कहा कि गत 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पटोटिया डांडा डिग्री कालेज में आयोजित कार्यक्रम में कार्यालय का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के 20 दिन बाद भी ईई की तैनाती नहीं हो पाई है।
उनका आरोप है कि ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक से वार्ता करने पर उनकी ओर से गोलमोल जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के दबाव के कारण नियुक्तियां टाली जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में केटीआर का प्रभागीय कार्यालय लैंसडौन से संचालित होता रहा है।
लेकिन, कुछ दिन पूर्व वन मंत्री के दबाव में इसे कोटद्वार शिफ्ट किया जा रहा था, जिसे उनके और स्थानीय जनता के विरोध के कारण रोक दिया गया। बावजूद, केटीआर का कैंप कार्यालय कोटद्वार से ही चलाया जा रहा है। लैंसडौन में केटीआर का प्रभागीय कार्यालय निष्क्रिय पड़ा है। विधायक ने आरोप लगाया कि इसी तरह तीन साल पहले सेवायोजन कार्यालय को भी कोटद्वार शिफ्ट किया जा रहा था। उनके विरोध को देखते हुए बाद में इसे रोका गया। किसी तरह सेवायोजन कार्यालय जयहरीखाल में शिशु मंदिर के भवन में संचालित हो रहा है।