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डॉलर के मुकाबले रुपया (dollar to inr) अब तक के सबसे निचले स्तर पर गिर गया है। मंगलवार को एक बार फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया ने अपने ऑल टाइम लो लेवल को टच किया। यह कारोबार के दौरान 79.38 रुपया प्रति डॉलर के स्तर तक गया। वहीं क्लोजिंग 42 पैसे गिरकर 79.37 रुपया प्रति डॉलर के स्तर पर हुई।
मार्केट के जानकारों की माने तो रुपए के गिरने का सिलसिला अभी कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है। माना जा रहा है कि रुपया के कमजोर होने से देश में महंगाई बढ़ेगी क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। भारत का आयात डॉलर में होता है। रुपया कमजोर होने से भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा भुगतान करना होगा। पेट्रोलियम उत्पादों के आयात महंगा होने की वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं।
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दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रहा भारत
वहीं भारत ईंधन के दाम बढ़ेंगे तो माल ढुलाई का चार्ज बढ़ जाएगा। आमतौर पर यह देखा गया है कि जब भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो माल ढुलाई के चार्ज भी बढ़ जाते हैं। इस अतिरिक्त चार्ज की वजह से कंपनियों या कारोबारियों का मार्जिन कम होगा और फिर इसकी वसूली ग्राहकों से की जाएगी। वसूली के लिए प्रोडक्ट के दाम बढ़ा दिए जाएंगे।