- Advertisement -
Story by HIMANSHU CHAUHAN: उत्तराखंड में मेट्रो का सपना जल्द ही पूरा हो सकता है। इसे लेकर सरकार की तैयारियां तेज दिख रहीं हैं। उत्तराखंड में मेट्रो नियो चलाने की तैयारी जोरों पर चल रही है।
दरअसल उत्तराखंड में सबसे पहले मेट्रो का सपना हरीश रावत सरकार में देखा गया था। राजधानी देहरादून में मेट्रो को लेकर खासा काम भी हुआ। मेट्रो कॉरपोरेशन बनाया गया, रूट तय हो गए। यहां तक कि राजधानी में मेट्रो रूट पर पिलर्स के लिए सॉयल टेस्टिंग भी शुरु हो गई। ऐसा लगा कि मेट्रो का सपना जल्द पूरा होने को है।
- Advertisement -
लेकिन इसी बीच चुनाव हुए और हरीश रावत की सत्ता में वापसी नहीं हो पाई। इसके बाद पूरे पांच साल तक बीजेपी सरकार में मेट्रो को लेकर माथापच्ची चलती रही लेकिन कोई एक राय नहीं बन पाई। बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री को लेकर पैदा हुई अस्थिरता भी इसकी एक बड़ी वजह रही। बाद में ये तय हुआ कि मेट्रो की जगह मेट्रो नियो का संचालन किया जाएगा।
खबरउत्तराखंड.कॉम को मिली जानकारी के अनुसार साल 2017 से राजधानी के लोग मेट्रो नियो का इंतजार कर रहे है जो कि अब यह इंतज़ार जल्द ही खत्म होने वाला है। राजधानी में सड़कों की भीड़ से लोगों के सफर को आसान करने वाले मेट्रो नियो के प्रस्ताव का पहला पड़ाव पार हो गया है।
लोकार्पण के बावजूद नहीं शुरु हुआ ICU, देखिए बीमार सिस्टम की ये तस्वीर
अगर सब सही रहता है तो अगले एक साल में मेट्रो नियो का काम धरातल पर दिखाई देने लगेगा। मिली जानकारी के अनुसार करीब तीन साल में राजधानी के दो रूटों पर मेट्रो नियो दौड़ने लगेगी जिससे लोगों को ट्रैफिक जाम से बहुत हद तक मुक्ति मिल।
ऐसी होगी अपनी मेट्रो नियो
देहरादून मेट्रो नियो में Medellín Tram Coaches लगेंगे। हम आपको विदेशों में चल रहे इसके कोचेज की झलक दिखा रहें हैं। देहरादून में चलने वाली मेट्रो भी बहुत हद तक इसी तरह की होगी। ये सिस्टम रेल गाइडेड सिस्टम है, जिसमें रबड़ के टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होते हैं। इसके कोच स्टील या एल्युमीनियम के बने होते हैं। इसमें इतना पावर बैकअप होता है कि बिजली जाने पर भी 20 किलोमीटर तक चल सकती है। सामान्य सड़क के किनारों पर फेंसिंग करके या दीवार बनाकर इसका ट्रैक तैयार किया जा सकेगा। इसमें ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम होगा जिसमें स्पीड लिमिट का प्रावधान भी होगा। मेट्रो नियो में टिकट का सिस्टम क्यूआर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा। इसके ट्रैक की चौड़ाई लगभग 1.1 मीटर होगी और जहां रुकेगी वहां करीब 8 मीटर का साइड प्लेटफार्म होगा। इसके साथ ही एक कोच की लंबाई 7 मीटर के करीब होगी। खास बात ये होती है कि इस कोच के लिए ट्रैक बनाने में परंपरागत मेट्रो की तुलना में कम लागत आती है।

जरूर पढ़ें – खुशखबरी। देहरादून में बनेगी एलिवेटेड रोड, आसान होगा सफर, पढ़िए पूरी जानकारी
1850 करोड़ का प्रस्ताव
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से मेट्रो नियो का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था इसके बाद शासन से यह 1850 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। केंद्र ने इसकी डीपीआर का थर्ड पार्टी रिव्यू कराया है जिसमें कुछ सवाल पूछे गए थे। इन सवालों का जवाब शासन ने केंद्र को भेज दिया है। इसके बाद केंद्र ने मेट्रो को एलिवेटेड पिलर्स के बजाय सड़क किनारे चलाने सहित कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी। यह जानकारी भी यूकेएमआरसी ने शासन को भेज दी है जहां से इसे केंद्र को भेजा जा चुका है। इसके बाद केंद्र कुछ और औपचारिकताएं पूरी करेगा। वहीं उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी की माने तो केंद्र के करीब 3 स्टेप रह गए हैं और इन स्टेप्स को पूरा होने में करीब 5 से 6 महीने लगेंगे और प्रस्ताव पास होने के बाद यूकेएमआरसी की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
पहले फेज में ये कॉरिडोर
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से राजधानी में पहले फेज के दो कॉरिडोर तैयार किये जायेंगे। पहला कॉरिडोर आईएसबीटी से घण्टाघर के बीच और दूसरा कॉरिडोर एफआरआई से रायपुर के बीच बनेगा। आईएसबीटी से घंटाघर तक करीब 8 किलोमीटर का कॉरिडोर होगा। इसमें 10 स्टेशन होंगे और एफआरआई से रायपुर तक करीब 13 किलोमीटर का कॉरिडोर होगा, जिसमें 15 स्टेशन रहेंगे। उसके बाद अगर दो कॉरिडोर सफल हो जाते हैं तो तीसरा कॉरिडोर रिस्पना से नेपाली फार्म के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।