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उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। ऐसा ही एक और मामला देखने को मिला है जहां राजधानी की कोरोनेशन के विंग अस्पताल गांधी अस्पताल में जहाँ आईसीयू वार्ड तो है लेकिन स्टाफ नहीं है।
गांधी शताब्दी अस्पताल में 5 करोड़ की लागत से बना आईसीयू वार्ड पर आज तक ताला लटका हुआ है। आपको बता दे एक साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस आईसीयू वार्ड का लोकार्पण किया था । लेकिन अचंभित करने वाली बात यह है कि जब इस आईसीयू वार्ड को 5 करोड़ की लागत से बनाया गया तो आखिरकार यह आईसीयू वार्ड अब तक सुचारू रूप से शुरू क्यों नहीं किया गया।
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जहाँ एक तरफ दुर्गम से आने वाले मरीजों को राजधानी में संसाधन के अभाव में अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है तो वही गांधी अस्पताल में बने इस आईसीयू वार्ड में अब तक डॉक्टर और स्टाफ नर्स की तैनाती क्यों नहीं की गई।
इतना ही नहीं गायनी विभाग को अधिकारियों के निर्देश पर गांधी अस्पताल से कोरोनेशन अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है जहां मरीजों को संसाधन के अभाव में रेफर करने की स्थिति बन रही है ।
उत्तराखंड में डीजीपी के नाम का आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट ही नहीं!
बन्द पड़े आईसीयू वार्ड को लेकर कोरोनेशन अस्पताल की सीएमएस शिखा जंगपांगी ने बताया की ह्यूमन रिसोर्स के अभाव में आईसीयू वार्ड का संचालन नहीं हो सका है गायनी विंग को लेकर भी उन्होंने कहा है उच्चाधिकारियों के निर्देश पर गायनी विंग को गांधी अस्पताल से कोरोनेशन अस्पताल में शिफ्ट किया गया है
कोरोनेशन में गायनी विन को लेकर हम आपसे हमेशा से ही सवाल उठते रहे आपको बता दें रोजाना कोरोनेशन अस्पताल में 10 से 15 डिलीवरी की जा रही है जिसमें दो से तीन गर्भवती और नवजात बच्चे को गम्भीर होने पर आईसीयू रेफर कर दिया जाता है ।
अब सवाल उठता है प्रदेश के सुस्त सिस्टम पर जहां 5 करोड़ की लागत से बना आईसीयू वार्ड तो है लेकिन वहां स्टाफ नही है । जिसके अभाव में मरीज दम तोड़ देता है अब देखना ये है कि स्वास्थ विभाग नींद से कब जागेगा और कब यह आईसीयू वार्ड सुचारू रूप से शुरू होगा।