काशीपुर : एक ओर जहां पंजाब में कृषि कानूनों को लेकर शिरोमडी अकाली अपने सहयोगी दल बीजीपी से मुखर है, तो वहीं उत्तराखंड के एक मात्र शिरोमडी अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष और काशीपुर से बीजेपी विधायक हरभजन सिंह चीमा अपनी पार्टी का समर्थन करते हुए कुछ ऐसा बोल गए कि इससे उत्तराखंड के किसान भड़क गए हैं। काशीपुर विधायक के द्वारा मीडिया को दिए गए विवादित बयान ने राजनैतिक हलचल पैदा कर दी है।
एक ओर लखीमपुर खीरी प्रकरण अभी शांत नही हुआ है तो वहीं उत्तराखंड में शिरोमडी अकाली दल बीजीपी समर्पित विधायक ने किसानों पर अपना विवादित बयान देकर राजनीति में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है। बयान भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि किसानों के 10 माह से चल रहे आंदोलन पर है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे किसान अब किसान नहीं रह गए हैं वह किसानों की बाजू पकड़ कर राज नेता बन गए हैं और अब वहां किसान नहीं बैठे बल्कि राजनीति करने वाले लोग बैठे हुए हैं।
आपको बता दें कि देश का किसान अपनी मांगों को लेकर 10 माह से दिल्ली के बोर्डरों पर हैं ओर जहां एक ओर अपनी राजनीति चमकाने के लिए काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कुछ ऐसा विवादित बयान दे डाला है , शिरोमडी अकाली दाल बीजीपी समर्पित काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने तो सीधे ये कह दिया कि धरने पर बैठ लोग किसान नहीं बल्कि राजनीति करने वाले लोग है, जो किसानों के आंदोलन की आढ में अपनी राजनीति चमका रहे है।
कैबिनेट मंत्री ने किया समर्थन
वहीं उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने भी हरभजन सिंह चीमा की बातों का समर्थन किया है. कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि किसान कहीं का भी हो। उनके बीच में अगर कुछ स्वार्थी तत्व हैं तो हो सकता है कि हरभजन सिंह चीमा ने उनके लिए कुछ कहा हो और उनकी मैं बात का समर्थन करता हूं।
10 माह से किसान अपने आंदोलन के माध्यम से केन्द्र सरकार को जगाने में लगा है यही नहीं आरोप यह है कि भाजपा के नेता किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए किस हद तक जा सकते है इसका उदाहरण लखीमपुर खीरी प्रकरण का है। वहीं अब काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने किसानों के आंदोलन पर विवादित बयान देते हुए कहा है कि किसानों के आंदोलन में किसानों का हाथ पकड़कर राजनीति की जा रही है, किसानों के आंदोलन और धरने पर किसान नहीं बल्कि राजनीतिक लोग धरना देकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है,यही नहीं हरभजन सिंह चीमा के अनुसार किसानों का आंदोलन राजनैतिक बन गया है। वहीं उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार लगातार किसानों से वार्ता के माध्यम से रास्ता निकाल कर आंदोलन को समाप्त करने की बात कह रही है, लेकिन किसान वार्ता करने के लिए तैयार नहीं है, क्योकि किसानों के आंदोलन के पीछे चंद राजनीतिक लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं, जिससे किसानों के आंदोलन का हल नहीं निकल पा रहा है।