विधानसभा में नियम विरुद्ध हुई नियुक्तियों को लेकर जांच समिति बनाए जाने की पहल करना सीएम धामी का मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ है। सीएम धामी की पहल पर बनी जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ये साफ हो गया है कि विधानसभा में जो कुछ भी नियमानुसार होने का दावा किया जा रहा था वो दावा गलत था।
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दरअसल इस पूरे मामले को देखिए तो सीधे तौर पर समझ आता है कि विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर सरकार का रवैया शुरु से ही सख्त रहा है। सीएम धामी ने कभी भी इन नियुक्तियों को लेकर न अपने कैबिनेट सहयोगी प्रेमचंद अग्रवाल का पक्ष लिया और न ही नियुक्तियों को लेकर कोई गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी की।
बड़ी खबर। विधानसभा में हुईं नियुक्तियां होंगी रद्द, जांच में मिली अनियमितता
सीएम धामी ने इस मसले पर शुरु से ही पूरी गंभीरता दिखाई। चूंकि मामला विधानसभा के विशेषाधिकार का था लिहाजा सीएम धामी ने इस मामले में बाकायदा एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को लिखा। इस पत्र में सीएम धामी ने सुझाव दिया कि नियुक्तियों की जांच कराई जानी चाहिए। इसी सुझाव पर अमल करते हुए ऋतु खंडूरी ने तीन सदस्यों की जांच समिति बनाई।
सीएम धामी ने शुरु से ही स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। सीएम धामी ने न सिर्फ ये कहा बल्कि ये कर के भी दिखाया है। विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को न सिर्फ रद्द कर दिया गया बल्कि ये साफ संदेश भी दिया गया है कि राज्य में करप्शन के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति सिर्फ कहने भर की नहीं करके के दिखाने वाली है।
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पूर्व में माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी को भेजे गए अनुरोध पत्र के क्रम में अनियमित विधानसभा भर्तियों पर कार्रवाई प्रदेश सरकार की सुशासन नीति को लेकर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। pic.twitter.com/4dBlhBVNdM
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 23, 2022