उत्तराखंड विधानसभा में हुईं नियुक्तियों को लेकर एक बड़ी खबर है। उत्तराखंड विधानसभा में 2016 और 2021 में हुईं दौ सौ से अधिक नियुक्तियों में अनियमितता मिली है। इस मामले में जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
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शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने विधानसभा में हुईं नियुक्तियों की जांच कर रही समिति कि रिपोर्ट साझा की है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने बताया है कि जांच में 2016 में हुईं 150 से अधिक भर्तियां और 2021 में हुईं 72 पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई गई है। इस जांच में सामने आया है कि इन भर्तियों के लिए न कोई परीक्षा आयोजित की गई और न ही किसी अन्य तरीके से स्क्रूटनी की गई। वहीं उपनल से भी नियुक्त किए गए 22 कार्मिको की नियुक्ति को नियम विरुद्ध माना गया है। जांच समिति ने नियम विरुद्ध हुई नियुक्तियों को तत्काल रद्द करने का सुझाव दिया।
वहीं इस जांच में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। जांच समिति को कई ऐसी पत्रावलियां मिलने की खबरें हैं जो मुकेश सिंघल की भूमिका पर सवाल खड़े करती है। आपको बता दें कि मुकेश सिंघल पहले भी इन नियुक्तियों को लेकर विवादों में रह चुके हैं। बताया जाता है कि नियुक्तियों से जुड़ी फाइलें वो अपने ही कमरे में रखते थे। हालांकि जांच शुरु होते ही विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने उन्हें फोर्स लीव पर भेज दिया था। अब उन्हे निलंबित कर दिया गया है।
वहीं अब जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी निशाने पर आ गए हैं। प्रेमचंद अग्रवाल लगातार दावा करते रहें हैं कि उन्होंने विधानसभा में जो नियुक्तियां की वो नियमानुसार की हैं।
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जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद अब विधानसभा स्तर से शासन को इन नियुक्तियों को रद्द करने की संस्तुति भेजी जाएगी।