देहरादून : उत्तराखंड़ की स्वास्थ्य सुविधाओ को लेकर कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। जी हां कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के जिला अस्पताल केवल रेफरल सेंटर बन कर रह गए हैं। बेहतर इलाज के नाम पर मरीजों को बस रेफर किया गया है जिसमे से कइयों ने अपनी जान भी गंवाई। वहीं इसमे खुलासा हुआ कि उपकरणों से लेकर डाक्टरों, नर्सों, दवा, पैथोलॉजी जांच आदि की भारी कमी है। साथ ही संसाधनों का उपयोग सही तरीके से भी नहीं किया जा रहा है। कैंग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उत्तराखंड में भवन से लेकर डॉक्टरों और नर्सों आदि की भी कमी है।
कैग की रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि
प्रदेश में संस्थागत प्रसव में भी कई तरह की कमियां कैग को मिली। कैग की रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई कि अस्पतालों की कमियों के कारण प्रसूता की मौत भी हुई। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के जिला और संयुक्त अस्पतालों में ट्रामा जैसे मामलों से निपटने की भारी कमी है। जिस कारण ओपीडी में परामर्श के लिए प्रत्येक मरीज को केवल 5 मिनट का ही समय दिया जा रहा है। और साथ ही दवाइयां भी बाहर से लेनी पड़ रही है जो की कई लोग एफर्ड नहीं कर पा रहे हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अस्पतालों में जरूरी दवाओं की भी भारी कमी है और जो दवाएं हैं भी उन्हें बांटा नहीं जा रहा है। अस्पतालों को पता ही नहीं हैं कि उन्हें क्या दवाएं रखनी हैं और क्या नहीं।
बता दें कि कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में उत्तराखंड 21 राज्यों में 17वें स्थान पर है। सिर्फ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार ही इससे पीछे है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है।
महिला अस्पतालों में करीब 21 तरह की दवाइयां होनी चाहिए थीं। इनमेें से छह जरूरी दवाओं की भारी कमी पाई गई। सर्जरी के लिए जरूरी 16 तरह की दवाओं में से हरिद्वार में 6, संयुक्त चिकित्सालय चमोली में 5 दवाएं नहीं मिली।ऊधमसिंह नगर को छोड़कर किसी भी जिला अस्पताल में शिशु को लपेटने वाली चादरें नहीं थीं। प्रसूता महिलाओं के लिए सैनेट्री पैड और गाउन हरिद्वार और संयुक्त चिकित्सालय चमोली में उपलब्ध नहीं थे। इसी के साथ स्त्री रोग विशेषज्ञों की भी कमी की बात सामने आई है। वहीं जिला महिला अस्पतालों में हीमोग्लोबीन की जांच, दिल की जांच, क्रेनियोटॉमी या मस्तिष्क की हड्डी की सर्जरी से संबंधित उपकरण ही नहीं थे।