देहरादून : सभी राजनैतिक दल चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। 3 जनवरी को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दून आ रहे हैं। इसके बाद भाजपा के भी कई दिग्गजों का उत्तराखंड दौरा है। एक ओर जहां रैलियां जारी है तो वहीं दूसरी ओर जनता के मन में और कार्यकर्ताओं के मन में है कि आखिर पार्टी किसे चुनाव के मैदान में उतारेगी। यानी की पार्टी किसे टिकट देगी ये अहम है। बता दें कि टिकट दावेदारी को लेकर कांग्रेस से बड़ी खबर है।कांग्रेस जल्द अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करेगी। हालांकि अभी हरदा के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बरकरार है।
चुनावी बेला में खूब जमने लगा सियासी रंग
नए साल के आगाज़ के साथ चुनावी बेला में सियासी रंग भी खूब जमने लगा है। चुनावी प्रचार प्रसार के बीच अब पार्टियों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर रस्साकशी का दौर शुरु हो गया है। कांग्रेस की तरफ जल्द ही पहली लिस्ट जारी होगी…लेकिन हरदा चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसपर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। हरदा भले ही ये कहें कि ये पार्टी का फैसला है लेकिन उनकी राजनीति के मैदान में चहल कदमी साफ जाहिर करती है कि वो खुद को सीएम उम्मीदवार के रुप में ही देखना चाहते हैं। क्योंकि कांग्रेस में एक वहीं हैं जो मैदान में डटे और उन्होंने दौरे पर दौरे किए।
जनवरी के पहले हफ्ते कांग्रेस कर सकती है अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी
जनवरी के पहले हफ्ते में कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है। कांग्रेस की प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी की दो दिनी बैठक में 70 विधानसभा सीटों से मिले टिकट के आवेदनों पर पार्टी ने खासा मशक्कत की है। प्रत्याशियों के चयन पर आखिरी फैसला हाईकमान पर छोड़ा गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी को 70 विधानसभा सीटों पर टिकट के लिए 478 आवदेन मिले….इनमें अनुसूचित जाति वर्ग के 92, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 5 आवदेन आए…तो 78 महिलाओं में अनुसूचित जाति की 15 महिलाओं के आवेदन शामिल रहे। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस कैम्पेन कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत ये संकेत दे चुके है कि पार्टी की तरफ से करीब 70 में से 45 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम लगभग फाइनल हो गए हैं.
कांग्रेस भले ही जल्द अपनी पहली लिस्ट जारी करने जा रही है…लेकिन हरदा के चुनाव लड़ने पर तस्वीर अभी भी साफ नहीं हो पाई है…हालांकि ये भी अभी तय नहीं है कि हरदा चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं….देखना ये है कि कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ साथ हरदा के चुनाव लड़ने या ना लड़ने की तस्वीर कब साफ होती है।