उत्तराखंड में चुनाव का दौर मानों कई पार्टियों के लिए प्राण वायु लेकर आता है और चुनावों के बाद अगर इन पार्टियों को जीत की संजीवनी नहीं मिली तो एक एक इनके पत्ते टूटने लगते हैं।
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। कहां तक तो आम आदमी पार्टी चुनावों से पहले उत्तराखंड में सरकार बनाने का दावा कर रही थी और अब हालात ये हैं कि उसके मुख्यमंत्री फेस ही पार्टी को बाय बाय टाटा करके चले गए।
यही नहीं आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय और छात्र विंग के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप कुमार भी पार्टी से अलग हो गए हैं।
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भूपेश उपाध्याय ने अपने त्यागपत्र में आम आदमी पार्टी की पूरी कार्यशैली को सिर के बल खड़ा कर दिया है। भूपेश उपाध्याय ने अपने त्यागपत्र में कहा है कि पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते समय जो कार्यप्रणाली और विचारधारा बताई गई थी हकीकत में आम आदमी पार्टी उन चीजों से बहुत दूर है। भूपेश उपाध्याय ने कहा है कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के हित में नहीं है।
भूपेश उपाध्याय यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने चुनावों के बाद गठित नई कार्यकारिणी को भी गंभीर सवालों से घेर दिया है। भूपेश उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि नए पार्टी प्रभारी और सह प्रभारी पार्टी को ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेंट की तरह हांक रहे हैं।