अल्मोड़ा कई ऐतिहासिक इमारतों को अपने आंचल में बसाए हुए है। यहां मौजूद हर इमारत की अपनी एक कहानी है। फिर चाहे वो राम कृष्ण कुटीर की हो, रैमजे कॉलेज की हो या फिर यहां के मल्ला महल की हो। अल्मोड़ा कारागार जो आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है। यहां आज भी आजादी के संघर्ष की यादें सहेज कर रखी गई हैं।
आजादी के संघर्ष का गवाह है अल्मोड़ा कारागार
हिन्दुस्तान के आजादी के संघर्ष की उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल रही है। अल्मोड़ा कारागार में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी रखा गया था। ये ऐतिहासिक जेल साल 1872 में बनाई गई थी। अल्मोड़ा जेल में आजादी की जंग से जुड़े कई वीरों को रखा गया था। बता दें कि साल 1871 में यूनाइटेड प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर विलियमस मियूर अल्मोड़ा आए। उन्होंने इस जगह को पर अल्मोड़ा जेल बनाने का फैसला किया।
साल 872 तक बन के तैयार हुई थी अल्मोड़ा जेल
अंग्रेजों के आने के साथ कुमाऊं क्षेत्र में कानून व्यवस्था का नवसृजन हुआ। दूसरे कुमाऊं कमिशनर ट्रेल के मुताबिक 1821 में जब अंग्रेज़ अल्मोड़ा आए तो अल्मोड़ा जेल में सिर्फ 65 कैदी थे। विलियम ने हिराडुंगरी को सुलभ स्थान मानते हुए यहां जिला कारागार का निर्माण करवाया। अल्मोड़ा का ये जिला कारागार सन 1872 तक बन कर तैयार था। पहले तो इस जेल में सिर्फ उन कैदियों को रखा जाता था जो टैक्स नहीं देते थे या छोटे मोटे अपराधों के दोषी थे। लेकिन आजादी के आंदोलन के बढ़ने के साथ ही इस जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाने लगा। यहां पर उन्हें कई प्रकार कि प्रताड़नाएं दी जाने लगी।
यहीं बनी थी आजादी की रणनीति
अंग्रेज आंदोलनकारियों को जेल में भरते जा रहे थे। यहां ये आजादी के दीवाने जेल में ही आजादी कि रणनीति तैयार कर रहे थे। जैसे ही कोई नया आंदोलनकारी जेल में बंद किया जाता तो पुराने आंदोलनकारी उनसे बाहर के हालातों का जायजा लेते। वहीं जब कोई आंदोलनकारी रिहा होने वाला होता तो उसे ये समझाया जाता की आखिर किस तरह आजादी के आंदोलन की आग को चारों तरफ फैलाना है। अल्मोड़ा की ये ऐतिहासिक जेल मानों आंदोलनकारियों का घर बन गई थी।
नेहरु समेत कई महिला स्वतंत्रता सेनानी भी रहीं इस जेल में
अल्मोड़ा जेल में जवाहर लाल नेहरु दो बार कैदी बनाकर लाए गए थे। इनके आलावा यहां गोविन्द बल्लभ पंत, विक्टर मोहन जोशी, पं. बद्रिदत्त पाण्डे, पं. हरगोविन्द पंत, नरेन्द्र देव, खान अब्दुल गफ्फार खाँ, चन्द्र सिंह गढ़वाली, सहीत कई महीला स्वतंत्रता सेनानी जैसे हरिप्रिया देवी, मालती देवी भट्ट, राधा देवी, जीवन्ती देवी, विशनी देवी, भागीरथी देवी, हरुली देवी, कुनती देवी वर्मा, विशनुली देवी समेत 499 क्रांतिकारि बंद रहे।
जेल में सहेज कर रखी गई हैं नेहरु से जुड़ी कई यादें
नेहरु से जुड़ी कई यादें इस जेल में सहेज कर रखी गई हैं। अल्मोड़ा जेल में नेहरू वार्ड है जहां पंडित नेहरू के खाने के बर्तन, चरखा, दीपक, चारपाई समेत पुस्तकालय भवन, भोजनालय है। इन्हें देखकर लगता है मानो नेहरु आज भी इन्हीं चार दिवारों में कहीं मौजूद हैं। जवाहर लाल नेहरु ने अपनी आत्मकथा के कुछ पन्ने भी यहां लिखे थे।