देहरादून : उत्तराखंड में पिछले 3-4 दिन से चल सियासी ड्रामा बुधवार को खत्म हो गया। पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद और RSS के प्रांत प्रचारक रहे तीरथ सिंह रावत को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना गया। देहरादून में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनके नाम मुहर लगी। एक दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही मीटिंग में तीरथ सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा। बाद में उन्होंने ही तीरथ के नाम का भी ऐलान किया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, तीरथ शाम 4 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
कभी भी राजनीति में आने का नहीं सोचा था-तीरथ सिंह रावत
उन्होंने कहा कि वह संघ के लिए काम करते थे। कभी भी राजनीति में आने का नहीं सोचा था। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरणा लेकर वे आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि वे त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ लंबे वक्त तक काम करते रहे हैं, पहले संघ में बतौर प्रचारक भी काम किया और उसके बाद पार्टी और सरकार के स्तर पर साथ में काम किया है। अभी भी वे उनके मार्गदर्शन में आगे काम करते रहेंगे।तीरथ सिंह रावत ने कहा कि मैं केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है। मैं गांव से आया हुआ एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं। मैंने इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। जनता के विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा। अब तक मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के लिए जो काम किए हैं, उसे हम आगे बढ़ाएंगे।
तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक सफर
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत होंगे। तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 को ग्राम सिरों पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। तीरथ सिंर रावत के पिता का नाम कलम सिंह रावत, माता का नाम गौरा देवी और उनकी पत्नी का नाम डॉ रश्मि त्यागी रावत है। इन्होंने परास्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया हुआ है इन्होंने श्रीनगर गढ़वाल के बिरला कॉलेज से समाजशास्त्र में पर स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा की शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़कर बतौर सामाजिक कार्यकर्ता कार्य करना शुरू कर दिया.
20 वर्ष की उम्र में बने प्रांत प्रचारक
महज 20 वर्ष की उम्र में 1983 में उसके प्रांत प्रचारक बन गए वर्तमान में उत्तराखंड के पौड़ी लोकसभा सीट से तीरथ सिंह रावत सांसद हैं और इससे पहले 2012 से लेकर 2017 में चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। साल 1983 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बतौर युवा प्रचारक के रूप में अपनी शुरुआत करने वाले तीरथ सिंह रावत अपनी राजनीतिक दीक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने छात्र जीवन के दौरान आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में राज्य के संगठन मंत्री का पद संभाला और शानदार काम की वजह से उन्हें संगठन मंत्री राष्ट्रीय संगठन मंत्री का पद भी मिला.
मवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में रहे छात्र संघ अध्यक्ष
उन्होंने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। वहीं छात्र संघ मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे वह 90 के दशक में चले अयोध्या श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े और 2 साल जेल में भी रहे उन्होंने प्रदेश में मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे से गढ़वाल तक शहीद यात्रा की अगुवाई की थी। उन्होंने 90 के दशक में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 2000 में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री भी रहे।
2013 से 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष भी रहे
तीरथ सिंह रावत 2007 में भाजपा उत्तराखंड इकाई के महामंत्री भी बने और उसके बाद प्रदेश भाजपा चुनाव अधिकारी के अलावा प्रदेश सदस्यता अभियान का प्रमुख भी बनाया गया। वही दैवीय आपदा प्रबंधन समिति का अध्यक्ष भी उन्हें चुना गया और फरवरी 2013 से 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। वहीं 2017 में उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करवाते हुए भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। साल 2019 में संपन्न हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और राज्य में पार्टी की शानदार जीत में अहम भूमिका निभाई।