स्वामी आनंद गिरि श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य रहे हैं जिनकी बीती रात हरिद्वार से गिरफ्तारी हुई है। बता दें कि नरेंद्र गिरि के पास मिले सुसाइड नोट में आंनद गिरी के नाम का जिक्र है जिसके बाद पुलिस ने बीती रात उन्हें गिरफ्तार किया। बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब आनंद गिरी का नाम विवादों में आया है बल्कि इससे पहले भी वो विवादों में रहे हैं।
दो विदेशी महिलाओं ने छेड़खानी का करवाया था केस दर्ज
जी हां बता दें कि आनंद गिरी की आस्ट्रेलिया में यौन शोषण मामले में गिरफ्तारी हुई थी। आनंद गिरि पर साल 2019 में दो विदेशी महिलाओं ने छेड़खानी का केस दर्ज करवाया था. महिलाओं ने ऑस्ट्रेलिया में योग सिखाने के बहाने छेड़खानी की शिकायत की थी. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने आनंद गिरि को हिरासत में ले लिया था और कोर्ट में पेश किए जाने के बाद कुछ दिनों तक सिडनी की जेल में रहना पड़ा था. हालांकि कोर्ट ने बाद में आ
बाघम्बरी गद्दी की संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद चर्चा में आए
उसके बाद अपने गुरु श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि से हरिद्वार कुंभ के बाद बाघम्बरी गद्दी की संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद चर्चा में आए थे। मामले में आनंद गिरि ने श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि पर कई अनर्गल आरोप लगाए थे। यहां तक कि उन्होंने कहा था कि बाघम्बरी गद्दी से जुड़ी संपत्तियों को बेचने का विरोध करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया।
बड़ी रकम एकत्र कर हजम करने का लगाया था आरोप
आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि आस्ट्रेलिया में साजिश के तहत उनके खिलाफ हुई कार्रवाई के दौरान उन्हें बचाने के नाम पर देश-दुनिया से बड़ी रकम एकत्र की गई, लेकिन उसका इस्तेमाल करने के बजाय उसे हजम कर लिया गया था। आनंद गिरि के इस तरह के बयानों के कारण श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने उन्हें अपने शिष्य पद से हटाते हुए बाघम्बरी गद्दी से बाहर कर दिया था। साथ ही उनके पत्र पर निरंजनी अखाड़े ने भी आनंद गिरि को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
पैरों में पड़कर मांगी थी आंनद गिरी ने माफी
वहीं बता दें कि कार्रवाई के बाद आनंद गिरि ने श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि से लखनऊ स्थित उनके एक शिष्य के घर माफी मांगी थी। इसके बाद श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने उन्हें अपना शिष्य तो स्वीकार लिया था, लेकिन बाघम्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़े में उनके प्रवेश की राह नहीं खोली थी
आनंद गिरि पर संन्यास ग्रहण करने के बाद भी परिवार से संबंध रखने, धन के दुरुपयोग और अर्जित धन से हरिद्वार में स्वजन के नाम से संपत्ति अर्जित कर अनाधिकृत तरीके से आश्रम का निर्माण कराने का आरोप लगाया गया था। इन्हीं आरोपों के तहत हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण ने उनके आश्रम की सीलबंदी भी की थी।