तारिक फतेह का सोमवार को 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वो काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे। तारिक के निधन की जानकारी उनकी बेटी नताशा फतेह ने दी। उनके निधन पर कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
आरएसएस ने किया नमन
पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक तारिक फतेह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी श्रद्धांजलि दी है। संघ ने कहा कि मीडिया और साहित्य जगत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने ट्वीट में कहा कि तारिक फतेह एक प्रख्यात विचारक, लेखक और टिप्पणीकार थे। मीडिया और साहित्य जगत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। वे पूरा जीवन अपने सिद्धांतों और विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहे और अपने साहत और दृढ़ विश्वास के लिए वे सम्मानित रहे। होसबाले ने आगे कहा, “उनके परिवार, दोस्त और उनके चाहने वाले, जो उन्हें हमेशा याद करेंगे, उनके प्रति मेरी संवेदना। मैं उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं और दिवंगत आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना करता हूं।”
बेटी ने ट्वीट में दी थी जानकारी
तारिक फतेह की बेटी नताशा ने ट्वीट में उनके निधन की जानकारकी दी उन्होनें लिखा , ‘पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। बता दें कि वे भारत के प्रति अपने उदारवादी रुख के कारण यहां के लोगों में खासे लोकप्रिय थे।
पहले पाकिस्तान फिर कनाडा बसे तारिक
बता दें कि तारिक फतेह का परिवार मुंबई का रहने वाला था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो उनका परिवार पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गया। जहां 20 नवंबर साल 1949 को कराची में तारिक फतेह का जन्म हुआ। मशहूर लेखक तारिक फतेह ने कराची यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में उन्होंने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया। खोजी पत्रकारिता के कारण वे कई बार जेल भी गए। हालांकि बाद में तारिक पाकिस्तान छोड़ कर सऊदी अरब चले गए। जहां से 1987 में वे कनाडा में बस गए। तारिक फतेह ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी खूब लिखा और बोला। वे आजाद बलूचिस्तान के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।