Women’s Day: उम्र बढ़ने के साथ-साथ पुरुषों ही नहीं बल्कि महिलाओं के शरीर में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं। जहां एक समय आपका शरीर काफी एनेर्जेटिक और दुरूस्त रहता था लेकिन वहीं उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसमें बदलाव देखने को मिलते हैं। इन बदलाव में सबसे ज्यादा तनाव और हार्मोन में होता है जिसे अधिकतर महिलाएं अनदेखा कर देती है। महिलाओं के लिए ये स्थिति तब और भी ज्यादा बदतर होती है जब पेरिमेनोपॉज की शुरुआत होती है। इस समय शरीर बीमारियों के प्रति और भी ज्यादा संवेदनशील होता है। ऐसी कई बीमारियां होती है जो 40 की उम्र के बाद होती है। आइये विश्व महिला दिवस (Women’s Day) पर जानते हैं ऐसे 7 टेस्ट के बारे में जिन्हें हर महिला को 40 के बाद अवश्य करना चाहिए।
मैमोग्रामम (Monogram Test)
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा आयु बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है, जिससे 40 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं के लिए नियमित मैमोग्राम करना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह इमेजिंग परीक्षण ब्रेस्ट के ऊतकों में असामान्यताओं का पता लगा सकता है, जिससे शीघ्र हस्तक्षेप कार्रवाई की जा सकती है और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट कहते हैं कि हर एक महिला को एक से दो साल में मैमोग्राफ का टेस्ट जरुर करना चाहिए।
पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट (Pap test And HPV Test)
पैप स्मीयर और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस परीक्षणों से गर्भाश्य ग्रीवा के कैंसर की जांत 40 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं के लिए जरुरी है। हालांकि कम जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए मेनोपॉज के बाद बार-बार पैप स्मीयर परीक्षण करवाना कम हो सकता है, फिर भी एचपीवी टेस्ट करवाना आवश्यक है। ये टेस्ट कैंसर से पहले आने वाले परिवर्तनों या सर्वाइकल कैंसर के प्रारंभिक चरण का पता लगा सकते हैं। ऐसे में समय रहते इस टेस्ट को कराने से आप आसानी से इलाज कर सकती हैं।
कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)
कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा आयु के साथ बढ़ता है, जिससे 40 वर्ष से ज्यादा की महिलाओं के लिए कोलोनोस्कोपी करवाना महत्तवपूर्ण हो जाता है। यह स्क्रीनिंग टेस्ट कोलन या मलाशय में कैंसर-पूर्व पॉलीप या प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगा सकता है। इसके बारे में सही समय में पता लगाकर आप उपतार करा सकती हैं।
थायराइड फंक्शन टेस्ट ( Thyroid Function Test)
आज के समय में थायराइड की समस्या होना आम हो गया है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म उम्र के साथ अधिक बढ़ जाते हैं। ये लक्षण कुछ जटिल हो सकते हैं और इनके लिए आसानी से अन्य कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। नियमित थायराइड फंक्शन परीक्षण इन स्थितियों का निदान और उपचार करने में मदद करते हैं, जिससे बेहतर थायराइड स्वास्थ्य सुनिश्चित होता है।
अस्थि घनत्व (Blood Density) परीक्षण (डेक्सा स्कैन) (Dexa Scan)
ऑस्टियोपोरोसिस जो हड्डियों को कमजोर करने वाला एक रोग है। यह समस्या आयु बढ़ने के साथ काफी अधिक हो जाती है। विशेषकर मोनोपॉज महिलाओं में। बता दें कि डेक्सा स्कैन हड्डियों के घनत्व को मापता है और फ्रैक्चर के जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। रोग का शीघ्र पता लगने से फ्रैक्चर को रोकने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव करने के साथ डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट(Blood Pressure And Lipid Profile Test)
मोनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। हृदय के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए नियमित ब्लड प्रेशर टेस्ट और लिपिड प्रोफाइल परीक्षण आवश्यक हैं। इसका अधिक स्चर हृदय रोग, स्ट्रोक और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम को काफी हद तक तक किया जा सकता है।
ब्लड ग्लूकोड और हीमोग्लोबीन A1c टेस्ट (Blood Sugar and HbA1c Test)
चपापचय में आयु से संबंधित परिवर्तनों से डायबिटीज या प्राडायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। नियमित ब्लड शुगर टेस्ट और हीमोग्लोबीन A1c परीक्षण रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करने और डायबिटीज से संबंधित होने वाली समस्याओं से जल्द कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।