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देहरादून: उत्तराखंड की चंपावत विधानसभा सीट पर उप चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। सीएम पुष्कर सिंह धामी जहां बीजेपी की ओर से उपचुनाव में मैदान होंगे तो, वहीं कांग्रेस भी खास रणनीति बनाकर सीएम धामी को घेरने की तैयारी में है। चंपावत से भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी के सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए विधायकी छोड़े जाने के बाद यह साफ हो गया था कि सीएम पुष्कर सिंह धामी चंपावत से ही उप चुनाव लड़ेंगे।
निर्वाचन आयोग ने चंपावत विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 31 मई को जहां चंपावत विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान होगा तो वही 3 जून को मतदान के नतीजे आएंगे। बीजेपी की ओर से सीएम पुष्कर सिंह धामी चुनावी मैदान में होंगे जिनकी किस्मत का फैसला भी उपचुनाव के नतीजों पर टिका है। जीत के बाद सीएम को कोई दिक्कत सीएम की कुर्सी पर बने रहने के लिए नहीं होने वाली है।
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सीएम की जीत को लेकर भाजपा पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही है।भाजपा का कहना है कि चंपावत विधानसभा का उपचुनाव सीएम पुष्कर सिंह धामी बड़े अंतर के साथ जीतकर आएंगे, जिसके लिए पार्टी ने पूरी तैयारी और रोडमैप तैयार कर लिया है। चंपावत विधानसभा उपचुनाव में जहां सीएम पुष्कर सिंह धामी की किस्मत का फैसला होने वाला है वहीं कांग्रेस की ओर से कौन पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ चुनावी मैदान में होगा इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
हालांकि सीएम के खिलाफ उपचुनाव लड़ने को लेकर चंपावत विधानसभा सीट पर उम्मीदवार खुलकर सामने भी नहीं आ रहे हैं और ना ही दो बार के विधायक रहे हेमेश खर्कवाल जो 2017 और 22 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए, उनमें कांग्रेस को जीत का दम नजर आ रहा है। इसीलिए सीएम के खिलाफ खटीमा से सीएम धामी को चुनाव हराने वाले भुवन कापड़ी को मैदान में उतारने की मांग हो रही है।
कांग्रेस की गढ़वाल मंडल की मीडिया प्रभारी गरिमा दसोनी का कहना है कि अगर कांग्रेस को चंपावत उपचुनाव में अभी से मनोवैज्ञानिक बढ़त लेनी है, तो खटीमा में सीएम को चुनाव हराने वाले कांग्रेसी विधायक भुवन कापड़ी को ही मैदान में उतारना चाहिए। चंपावत विधानसभा उपचुनाव सीएम धामी के जीतने को लेकर जहां ज्यादातर लोग आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
चंपावत विधानसभा सीट का एक इतिहास यह भी रहा है कि राज्य बनने के बाद हुई 5 चुनावों में अभी तक 4 बार ब्राह्मण चेहरों को ही जीत मिली है। ऐसे में सीएम धामी क्या ब्राह्मण बाहुल्य सीट से बड़े अंतर से जीता हासिल कर पाएंग? फिलहाल सभी की नजरें इस बाद पर लगी हुई है कि कांग्रेस किसको मैदान में उतारती है और कौन विजेता बनता है।