तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार एक बार फिर विवादों के घेरे में है। राज्य की पहचान मानी जाने वाली तेलंगाना थल्ली की नई मूर्ति का डिजाइन चर्चा और विरोध का केंद्र बन गया है। भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने राजनीतिक बदले की भावना से तेलंगाना थल्ली की पारंपरिक छवि को बदलने की कोशिश की है।
बता दें कि रेवंत रेड्डी ने नई प्रतिमा को राज्य सचिवालय में लगवाया है, जिसका लोकार्पण पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जन्मदिन 9 दिसंबर को हो रहा है। लेकिन बीजेपी और बीआरएस दोनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी का आरोप है कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार राजनीतिक हितों के लिए तेलंगाना की सांस्कृतिक पहचान से छेड़छाड़ कर रही है। रेवंत रेड्डी सोनिया गांधी को तेलंगाना की मां बुलाते हैं। अब उनको खुश करने के लिए तेलंगाना की पहचान रही तेलंगाना थल्ली की छवि बदल रही है।
क्या है तेलंगाना थल्ली?
बता दें कि तेलंगाना थल्ली तेलंगाना के लोगों के लिए एक प्रतिकात्मक मूर्ति है। तेलगू क्षेत्र में पहले से समृद्धि देने वाली देवी के तौर पर पूजी होती रही है। उन्हें आंध्र माता भी कहा जाता है। इस प्रतिमा को सबसे पहले निर्मल जिले के निवासी बी वेंकटरमण ने डिजाइन किया था, 2023 में हैदराबाद में बीआरएस मुख्यालय में स्थापित किया गया था।
नई मूर्ति पुरानी से कितनी अलग?
बताया जा रहा है कि पुरानी मूर्ति में मुकुट था और एक हाथ में मक्का था, जो राज्य की समृद्धि को दर्शाता था। दूसरी ओर, उनके पास वथकम्मा कलश था, जो तेलंगाना के सबसे बड़े त्योहार का सांस्कृतिक प्रतीक है। तेलंगाना थल्ली को गुलाबी रेशम की साड़ी पहनाई गई थी, जो पोचमपल्ली के मशहूर रेशम का प्रतीक थी। वहीं, पैर की अंगूठियां विवाहित महिलाओं का प्रतीक होने के साथ-साथ करीमनगर के चांदी के आभूषणों का प्रतिनिधित्व करती थीं। तेलंगाना थल्ली ने सोने का कमरबंद भी पहना हुआ था। दावा किया जा रहा है कि नई मूर्ति में मुकुट नहीं है और वथकम्मा कलश भी हटा दिया गया है। साड़ी का रंग बदलकर हरा कर दिया गया है और नए डिज़ाइन में कमरबंद भी नहीं जोड़ा गया है।