बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्तवपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।
जानें महिला आरक्षण विधेयक के अहम बिंदू
बता दें कि इस विधेयक को 12 सितंबर, 1996 को संसद में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार ने लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करना है। आरक्षण मानदंड-बिल के अमुसार सीटें रोटेशन के आधार पर आरक्षित की जाएंगी। सीटों का निर्धारण ड्रा से इस प्रकार किया जाएगा। वाजपेयी सरकार ने लोकसभा में बिल के लिए जोर दिया, लेकिन फिर भी इसे पारित नहीं किया गया।कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए एक सरकार ने मई 2008 में एक बार फिर इस विधेयक को पेश किया। इस विधेयक को नौ मार्च, 2010 को राज्य सभा ने पारित किया गया था, लेकिन अभी लोकसभा से पारित होना बाकी है।