पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से सटा संदेशखाली इन दिनों उबल रहा है। इस उबाल और बवाल का कारण महिलाओं के साथ टीएमसी के नेताओं द्वारा हुआ यौन उत्पीड़न का आरोप है। जिसने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार की नींद उड़ा रखी है। ममता सरकार को इस पर जवाब देना मुश्किल हो रहा है। ममता सरकार की इस चुप्पी पर कांगेस ने ममता बनर्जी को क्रूरता की रानी तो बीजेपी ने ममता का जंगलराज बताया है। राज्य में सियासत गरमाई हुई है। ऐसे में वार-पलटवार भी देखने को मिल रहा है। आइये जानते हैं कि आखिर पश्चिम बंगाल में ये अशांति कहां से शुरु हुई? महिलाओं ने क्या आरोप लगाए हैं।
5 जनवरी से शुरु हुआ बवाल
संदेशखाली में हो रहे बवाल की शुरुआत 5 जनवरी से हो रही है। दरअसल, 5 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख के आवासों पर छापेमारी करने गई थी। इस दौरान ईडी के अधिकारियों की गाड़ियों पर पत्थरबाजी की गई। आरोप टीएमसी नेता शाहजहां शेख के समर्थकों पर लगा। इसके बाद से शाहजहां शेख फरार हो गए और समन करने के बावजूद एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए।
महिलाओं ने तीन पोल्ट्री फार्मों को जलाया
एक तरफ शेख की हिंसा से ईडी की टीम आहत थी कि दूसरी तरफ 8 फरवरी से संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर अत्याचार करने और जबरन जमीन कब्जाने जैसे कई आरोप लगाए। 9 फरवरी को तनाव तब बढ़ गया जब प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां समर्थक हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्मों को जला दिया। महिलाओं का दावा था कि वे स्थानीय ग्रामीणों से जबरन छीनी गई जमीन पर बने थे।
सुंदर महिलाओं के साथ करते थे यौन उत्पीड़न
इन्हीं स्थानीय महिलाओं में से एक महिला ने कहा, टीएमसी के लोग गांव में घर-घर जाकर सर्वे करते हैं। इस दौरान अगर घर में कोई सुंदर महिला, खासतौर पर लड़की या युवा पत्नी दिखती है तो वो लोग उसे पार्टी ऑफिस ले जाते हैं। जिस महिला को पार्टी ऑफिस ले जाया जाता है उसे कई रातों तक वहीं रखा जाता है।’ प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख के साथ ही टीएमसी की अन्य नेताओं उत्तम सरदार और शिबप्रसाद हाजरा पर भी यौन उत्पीड़न में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। ये दोनों नेता शाहजहां शेख के करीबी बताए जाते हैं।
राज्यपाल ने की घटना की निंदा
वहीं जब राज्यपाल सीवी आनंद बोस को मामले की जानकारी लगी तो उन्होनें कहा,यह घटना सभ्य समाज में होने वाली सबसे बुरी घटना को दर्शाती है। सरकार को त्वरित और प्रभावी रूप से कार्रवाई करनी होगी। इसी के साथ-साथ राज्यपाल ने घटनास्थल का दौरा भी किया और महिलाओं से मुलाकात की ।
मामले पर ममता बनर्जी ने क्या कहा?
हालांकि संदेशखाली मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि जो लोग जिम्मेदार थे उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। उन्होंने कहा था कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। राज्य महिला आयोग की टीम ने संदेशखाली जाकर महिलाओं से बातचीत की है। राज्य प्रशासन ने जांच के लिए सीनियर आईपीएस अधिकारियों की अगुआई में 10 सदस्यीय टीम बनाई है। इसी के साथ ममता सरकार ने एक बड़ा आरोप लगाया है कि, जो महिलाएं टीएमसी नेता शाहजहां शेख पर यौन शोषण और जमीन कब्जे के आरोप लगा रही हैं वो बीजेपी समर्थक है या फिर बाहरी हैं। हालांकि इस आरोप के बाद महिलाओं ने अपने आधार कार्ड भी दिखाए जिसमें उनकी पहचान स्थानीय थी।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
वहीं ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने संदेशखाली के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल (जनहित याचिका) दायर की है और याचिका में मांग की है कि कोर्ट की देखरेख में सीबीआई या एसआईटी की टीम मामले की जांच करें। पीड़ितों को मुआवजा मिले, साथ ही अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से न निभाने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करें।
संदेशखाली के सभी रास्ते किए सील
बीते दिन जब कांग्रेस के नेता और बीजेपी के नेता संदेशखाली में महिलाओं से मिलने गए तो उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि संदेशखाली जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया है। सभी रास्तों में पुलिस और आरएएफ का कड़ा पहरा है। ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय करेगा हस्तक्षेप
वहीं इस पूरे मामले पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रामाणिक ने कहा, कि पुलिस महिलाओं को न्याय दिलाने के बजाए उन्हें और परेशान कर रही है। हमने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। अगर ममता बनर्जी इस पर ध्यान नहीं देंगी तो केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय निश्चित रुप से मामले पर हस्तक्षेप करेंगे। वहीं बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने भी साफ कहा है कि हम महिलाओं को न्याय दिलाएंगे।