कल 4 जून को कुछ ही घंटो में लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरु हो जाएगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी। फिर वोटों की गिनती की जाएगी। इस बीच काउंटिंग रुम, स्ट्रांग रुम क्या होता है ये सवाल कई लोगों के मन में होता है तो आइये जानते हैं इन सवालों का जवाब।
क्या होता है स्ट्रांग रुम?
स्ट्रांग रुम वह होता है जहां पर वोटिंग के बाद ईवीएम को रखा जाता है। स्ट्रांग रुम को काफी सुरक्षित रखा जाता है और अक्सर यह जिले के सरकारी कॉलेज में बना होता है। वोटिंग के बाद से यह रूम पूरी तरह से कैमरे की निगरानी में होता है।
कौन खोलता है स्ट्रांग रुम का ताला?
जिन दिन मतगणना होती है उस दिन सुबह 7 बजे के आसपास स्ट्रांग रुम का ताला खोला जाता है। जब इसका ताला खोला जाता है, उस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर भी वहां मौजूद रहते हैं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाती है। ताला खोलने के समय हर एक उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि वहां मौजूद रहते हैं। ईवीएम की कंट्रोल यूनिट काउंटिंग की टेबल पर रखी जाती है। इसके बाद हर कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान किया जाता है और उसे पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है। अगर किसी उम्मीदवार के एजेंट को आपत्ति नहीं होती, उसके बाद प्रक्रिया शुरु होती है।
कौन जाता है काउंटिंग सेंटर के अंदर?
जानकारी के मुताबिक काउंटिंग सेंटर के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं। जब तक वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी भी एजेंट को बाहर आने की इजाजत भी नहीं होती है। इसके अलावा किसी को भी अंदर मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होती है। यदि किसी एजडेंट को वोटिंग के दौरान गड़बड़ी की आशंका होती है तो वह रिकाउंटिंग की मांग कर सकता है।
काऊंटिंग पूरी होने के बाद ईवीएम दोबारा स्ट्रांग रुम में रख दी जाती है। काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में रखना होता है। इसके बाद इसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाता है।