ओडिशा का पुरी शहर भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के लिए पूरी तरह तैयार है। बता दें कि 53 साल बाद यह यात्रा दो दिनों की होगी। मीडा रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक इस बार रथ यात्रा के दिन दुर्लभ शुभयोग बन रहे हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आज तीन बजकर 44 मिनट से 8 जुलाई सुबह 4 बजकर 14 मिनट बजे तक है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इसमें रथ यात्रा निकलेगी साथ ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शिववास का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है।
दो दिवसीय यात्रा
वहीं ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस साल दो दिवसीय यात्रा आयोजित की गई है, जबकि आखिरी बार 1971 में दो दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था। परपंरा से हटकर, तीन भाई-बहन देवी देवताओं भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा बलभद्र से संबंधित त्योहार से संबंधित कुछ अनुष्ठान भी आज एक ही दिन में आयोजित किए जाएंगे।
रथों को सिंहद्वार के सामने किया खड़ा
वहीं रथों को सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है। जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा। वहां रथ एक हफ्ते तक रहेंगे। इस साल रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठान जैसे नवयौवन दर्शन और नेत्र उत्सव एक ही दिन 7 जुलाई को आयोजित किए। पौराणिक कथाओं के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर ज्यादा स्नान करने के कारण देवता अस्वस्थ हो जाते हैं और इसलिए अंदर ही रहते हैं। नवयौवन दर्शन से पहले पुजारी नेत्र उत्सव नामक विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसमें देवताओं की आंखों की पुतलियों को नए सिरे से रंगा जाता है।