लोहाघाट: सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा तो देती है, लेकिन वह नारा कई मर्तबा धरातल पर गलत साबित हो चुका है। नारा तो दे दिया गया, लेकिन जब बेटियों को सुविधाएं ही नहीं दी जाएंगी, फिर बेटियों कैसे पढ़ेंगी और कैसे आगे बढ़ेंगी। राजकीय पॉलिटेक्निक लोहाघाट में पिछले 12 वर्षों से महिला छात्रावास भवन का अटका हुआ है। इसका निर्माण कार्य बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है।
2010 में राजकीय पॉलिटेक्निक में दो मंजिला महिला छात्रावास भवन निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। कार्यदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम ने छात्रावास भवन का ढांचा तैयार कर दिया, जिसमें एक करोड़ खर्च किए गए। इसके बावजूद भी निर्माणाधीन भवन की दरवाजे, खिड़कियां और कार्य नहीं किए गए। बरसों से अधूरे पड़े छात्रावास के चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं।
एक करोड़ खर्च होने के बाद भी यह छात्रावास छात्राओं के काम नहीं सका। जिस कारण पॉलिटेक्निक की छात्राओं को मजबूरी में महंगे किराए के भवनों में रहना पड़ रहा है। हालांकी, छात्राओं के लिए एक छात्रावास तो है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वहां सिर्फ पांच छात्राएं रह रही हैं। राजकीय पॉलिटेक्निक प्रभारी प्रधानाचार्य गोविंद बल्लभ ने बताया कि 2010 में कार्यदाई संस्था निर्माण इकाई पेयजल निगम ने महिला छात्रावास निर्माण कार्य शुरू किया था।
लेकिन, अभी तक तैयार नहीं हुआ है। छात्रावास का निर्माण कार्य पूरा न होने से छात्राओं को बाहर किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ता है। इससे उनके ऊपर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा छात्रावास का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने की मांग बार-बार करी जा रही है। बावजूद, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।