देहरादून: युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी को सत्ता संभाले केवल 30 दिन हुए हैं। उनके सीएम बनने के बाद भाजपा ने युवा सीएम, 60 प्लस का नारा दिया था। जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ताबड़तोड़ फैसले लिए। उनके फैसलों ने भाजपा को ना केवल सत्ता में वापसी की उम्मीद जगा दी। बल्कि, भाजपा को युवा सीएम, 60 प्लस नारे के साकार होने की भी उम्मीदें नजर आने लगी हैं।
मुहर युवा पुष्कर सिंह धामी के नाम पर लगी
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ, तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। इस बीच ऐसी परिस्थियां सामने आई कि फिर से सीएम बदलना पड़ा। चर्चा में कई नाम चल रहे थे, लेकिन मुहर युवा पुष्कर सिंह धामी के नाम पर लगी। पार्टी ने उन पर जो भरोसा जताया। उन्होंने 30 भीतर साबित कर दिया कि आखिर क्यों उनको राज्य की कमान सौंपी गई है।
युवाओं के बीच अच्छी पकड़
सीएम धामी की युवाओं के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। अपने 30 दिन के कार्यकाल में लिए गए फैसलों और युवाओं के लिए उनकी सोच और प्राथमिकता ने साफ कर दिया कि वो भी युवाओं को निराश नहीं करेंगे। उनके पास समय कम है। वो खुद भी कह चुके हैं। लेकिन, साथ ही यह भी कहा कि जो भी करेंगे। उत्तराखंड को क्वालिटी वर्क देंगें। क्वालिटी वर्क उनकी पहली प्राथमिकता है।
मुख्य सचिव के पद से हटाया
सत्ता संभालने के पहले ही दिन उन्होंने सबसे पहले राज्य के सबसे सीनियर आईएएस अफसरों में से एक ओम प्रकाश को मुख्य सचिव के पद से हटाया और यह कुर्सी दिल्ली में तैनात आईएएस अधिकारी डॉ.एसएस संधू को सौंप दी। इसके बाद उन्होंने नौकरशाही में ऐसा बदलाव किया कि पिछले कार्यकालो में पावर हाउस बने अधिकारियों को एकदम हल्का कर दिया।
एक झटके में रोक दिया
सत्ता के दम पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल को भी एक झटके में रोक दिया। दबाव बना रहे आईएएस अफसरों के लिए आदेश जारी कर उनको सेवा आचरण नियमावली की याद दिलाई और एक झटके में सारा खेल बंद कर दिया। अपने 30 दिन के कार्यकाल में उन्होंने जनता की जुड़ी योजनाओं को भी धरातल पर उतारने का काम किया। कुल मिलाकर भाजपा को युवा सीएम, 60 प्लस का नारा सही साबित होता नजर आ रहा है।