उत्तराखंड को अब प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक से 1400 करोड़ रुपये की परियोजना की स्वीकृति प्रदान कराई है। इस परियोजना से प्रदेश में होने वाली आपदा से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। बता दें आपदा के लिहाजा से उत्तराखंड अतिसंवेदनशील राज्य है, जहां हर वक्त आपदा होने की संभावना से होने वाले जानमाल के नुकसान का डर बना रहता है।
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प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिली 1400 करोड़ रुपये स्वीकृति मिलने से अब उत्तराखंड हर जिले में आपदा कंट्रोल रूम को अत्याधुनिक तकनीक से लेस किया जाएगा। साथ ही फारेस्ट फायर कंट्रोल रूम, और नए फायर स्टेशनों को भी बनाया जाएगा। इन सब आधुनिक तकनीक से प्रदेश के संवेदनशील और अतिसंवेदनशील जिलों को फायदा होगा जहां कभी भी आपदा आने का डर बना रहता है। पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों मे सबसे ज्यादा आपदा से जो नुकसान होता है जिससे अब उस पर कंट्रोल किया जा सकता है। इस परियोजना के तहत अतिवृष्टि से होने वाले भूस्खलन में टूटने वाले पुलों को भी रखा गया है साथ ही नए पुलों का भी निर्माण कराया जाएगा।
अतिसंवदेनशील वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर उन पर काम किया जाएगा। इस परियोजना के तहत 30 नए फायर स्टेशनों को खोलने के साथ ही उन्हें अत्याधुनिक तकनीक से लेस किया जाएगा। मीडिया खबरों के अनुसार आपदा प्रबंधन सचिव डॉक्टर रंजीत सिन्हा ने बताया कि इस परियोजना के तहत रखे गए प्रस्तावों के टेंडर और अन्य प्रक्रिया पूरी होने के बाद बजट पास किया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में जंगलों में की आग लगने की घटनाएं ज्यादतर फरवरी से जून तक होती हैं। जिससे आबादी वाले क्षेत्रों में भी जानमाल के नुकसान का डर हर वक्त बना रहता है। लेकिन वन क्षेत्र बड़ा होने के कारण आग पर काबू करना मुश्किल हो जाता है। इसी परिस्थिति से निपटने के लिए इस परियोजना में आधुनिक तकनीक को अपनाया जाएगा। जिसके तहत फायर कंट्रोल रूम और चौकियों का निर्माण कराया जाएगा।
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साथ ही बरसात के मौसम में प्रदेश में ना जाने कितनी आपदाएं होती है जिनसे भारी जानमाल का नुकसान होता है। वहीं अतिसंवेदनशील वाले क्षेत्रों में तो बरसात के दौरान हर वक्त भूस्खलन और अतिवृष्टि का खतरा बना रहता है। ऐसे में ये नई परियोजना इन क्षेत्रों के लिए लाभप्रद होगी।