देहरादून : उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस ने 2022 में जीत का परचम लहराने के लिए अभी से कमर कस ली है। हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल को इस चुनाव के लिए अहम जिम्मेदारी दी गई है। बैठकों का सिलसिला कांग्रेस और भाजपा में जारी है। हाल ही में हरीश रावत और प्रीतम के समर्थक आपस में भिड़ गए थे जिससे कांग्रेस की एकता पर, आपसी तालमेल पर सवाल खड़े किए गए लेकिन पार्टी बाहर से यही दिखाती आई है कि किसी के बीच कोई विवाद कोई नाराजगी नहीं है लेकिन कई ऐसे मौके आए जब ये चीजें खुलकर सामने आई। जी हां बता दें कि बीते दिन फिर से कांग्रेस में कलह सामने आई वो भी दो महिला प्रवक्ताओं के बीच। ये विवाद पनपा सोशल मीडियापर की गई एक पोस्ट को लेकर। ये विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों महिला प्रवक्ताओं के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। बाद में राष्ट्रीय मीडिया समन्वय जरिता लेटफ्लेंगे ने मामले को शांत कराया।
इस कारण हुई दोनों प्रवक्ताओं में कहासुनी
दरअसल हुआ यूं कि बीते दिन प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने दो प्रदेश प्रवक्ताओं को गढ़वाल और कुमाऊं का मीडिया प्रभारी बनाया था जिसमे प्रवक्ता गरिमा दसौनी को गढ़वाल मंडल और प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया को कुमाऊं मंडल का प्रभार दिया गया है। दोनों को प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि के निर्देशन में काम करने को कहा गया। खबर है कि गरिमा दसौनी को गढ़वाल मंडल का प्रभारी बनाए जाने पर प्रदेश प्रवक्ता डा प्रतिमा सिंह ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों का प्रभार एक ही क्षेत्र के नेता को दिया गया है। कांग्रेस से जुड़े रहे पूर्व प्रदेश पदाधिकारी गिरीशचंद्र ने भी गरिमा की तैनाती को मुखबिरी और रिश्तेदारी का ईनाम बताते हुए सोशल मीडिया पर टिप्पणी की। हालांकि बाद में ये कमेंट डिलीट कर दिए गए।
हाथापाई तक की आ गई नौबत
वहीं गुरुवार शाम प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक जरिता लेटफ्लेंगे की अध्यक्षता में हो रही प्रदेश प्रवक्ताओं और मीडिया प्रभारियों की बैठक के बाद दोनों प्रवक्ताओं गरिमा दसौनी और डॉ प्रतिमा सिंह के बीच कहासुनी हो गई। ये कहासुनी इतनी बढ़ गई कि हाथापाई की नौबत भी आ गई। बाद में जरिता ने बीच बचाव किया और मामले को शांत कराया।डॉ प्रतिमा सिंह डीएवीपीजी कालेज में विधि विभाग में प्रवक्ता हैं। इस विवाद ने एक बार फिर पार्टी के भीतर असंतोष की सुगबुगाहट को सतह पर ला दिया है। माना ये भी जा रहा है कि इस मामले को अनुशासनहीनता के तौर पर भी लिया जा सकता है।