देहरादून। हरिद्वार में कुंभ का आगाज हो चुका है। श्रद्धालु हरिद्वार की ओर रुख करने लगे हैं। 1 तारीख से हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भीड़ उमडे़गी क्योंकि शाही स्नान होगा। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के ही दौरान सरकार ने लाख दावे किए कि कुंभ को लेकर सभी तैयारियां पूरी करली गई है। पूर्व सीएम खुद हरिद्वार पहुंचे थे और दावा किया गया था कि अधिकारियों को समय से पहले पूरी तैयारियां और व्यवस्था चाक चौबंद करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन ये दावा सिर्फ दावा ही बनकर रह गया। त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के दौरान कुंभ की तैयारियां हवा में हुई।सारे दावे हवा हवाई साबित हुए इससे और कुछ नहीं लेकिन त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी सरक गई और वो तीरथ सिंह रावत के पास जा पहुंची। कुंभ की हवा हवाई दावों ने त्रिवेंद्र राज को डुबा दिया।
हाईकोर्ट में डाली गई याचिका
बता दें कु कंभ की तैयारियों को लेकर जहां सरकार ने व्यवस्था चाक चौबंद होने का दावा किया को इस बीच कुंभ क्षेत्र में कई खामियां सामने आई है। बता दें कि न ही सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है और ना ही कोई मास्क में नजर आ रहा है। वहीं बता दें कि श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा की सुविधा भी प्रॉपर नहीं है। वहीं बता दें कि इसको लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई। जनहित याचिका की सुनवाई कोर्ट कर रहा है। बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने 24 मार्च को जारी हुए आदेश में कुंभ क्षेत्र की तमाम खामियों को बताया है। हाईकोर्ट ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि कुंभ क्षेत्र में बने साढ़े 500 बेड के तीन मंजिले अस्पताल में पूरी सुख सुविधाएं नही है। मरीजों के लिए अस्पता में न तो लिफ्ट है और न ही रैंप है।
40 डाक्टरों ने नहीं की अभी तक ज्वॉइनिंग
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और आलोक वर्मा की खंडपीड ने कुंभ की अव्यवस्थाओं को लेकर दायर याचिका में सुनवाई की। 24 मार्च को खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश जारी किया है। समाजसेवी अनूप के ट्वीट के अनुसार अपने इस आदेश में खंडपीठ ने दो रिपोर्ट का हवाला देते हुए तमाम खामियों के बारे में बताया। कहा कि कुंभ के लिए साढ़े पांच सौ बेड के तिमंजिले भवन में मरीजों के लिए न तो लिफ्ट है और न ही रैंप है। मरीज दूसरे और तीसरे तल पर कैसे जाएगा। कहा गया कि बैड के पास ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं लगाए गए हैं औऱ न ही वैंटिलेटर का इंतजाम है।
इतना ही नहीं अस्पताल में स्टाफ की कमी है। इसी के साथ 40 डाक्टरों अभी तक ज्वॉइनिंग करने नहीं पहुंचे जिससे साफ दिखता है कि कुंभ को लेकर कितनी गंभीर सरकार और प्रशासन है। कहा गया है कि भर्ती किए गए मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण भी नहीं दिलाया गया। कुंभ क्षेत्र में डॉक्टरों के लिए कियोस्क भी नहीं बने। आपको बता दें कि आदेश में लिखा है कि हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में हालात ठीक हैं। लेकिन पौड़ी, टिहरी और देहरादून जिले की सीमा में आने वाले कुंभ क्षेत्र में कोई सुविधाएं नहीं हैं। तपोवन, स्वर्गाश्रम और मुनिकी रेती कुंभ क्षेत्र में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों के घाटों का नवीनीकरण भी नहीं कराया गया है। इन क्षेत्रों में मोबाइल यूरिनल और वाशरूम भी नहीं है। इन व्यवस्थाओं को तत्काल पूरा करने को कहा गया है। आदेश में हरिद्वार स्थित हरकी पैडी का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि यहां महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम नहीं है। महिला घाट पर वाशरूम और शौचालय ही हालत खराब है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि वे अफसरों के साथ तमाम व्यवस्थाओं को खुद देखें और 31 मार्च को अगली सुनवाई पर अपनी रिपोर्ट पेश करे। हाईकोर्ट ने कहा है कि आशा है कि सरकार औऱ सतर्क होगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कुंभ क्षेत्र कोविड-19 महामारी का ब्रीडिंग ग्राउंड न बन पाए।अहम बात यह भी है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा है जिसके आधार पर कोविड वैक्सीनेशन कराने वालों को बगैर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करने दिया जाए।
मुख्य सचिव को हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि केंद्र और राज्य की एसओपी का पालन कराया जाए। घाटों पर प्रवेश के समय श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग की जाे। सेनेटाइजर का भी इंतजाम श्रद्धालुओं के लिए हो। अधिकतम 72 घंटे पुरानी कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही कुंभ क्षेत्र में प्रवेश दिया जाए।