देहरादून: मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के साथ ही त्रिवेंद्र कैबिनेट के मंत्री गैरसैंण कमिश्नरी को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले पर अब खुलकर सवाल उठाने लगे हैं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह, प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई। मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के साथ ही वह कैबिनेट मंत्री जो तीरथ कैबिनेट में भी शामिल हैं और त्रिवेंद्र कैबिनेट में भी शामिल थे। अब वह पूर्व सीएम के गैरसैंण के कमिश्नरी के फैसले पर ही सवाल उठा रहे हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहले ही गैरसैंण कमिश्नरी के फैसले पर विचार करने की बात कह चुके हैं। लोग भी यह समझने लगे हैं कि कमिश्नरी का फैसला सरकार वापस ले सकती है। लेकिन, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा लिए गए फैसले पर उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे तब भले ही चुप्पी साधे रहे, लेकिन अब वो बोल रहे हैं।
तीरथ सरकार में कैबिनेट मंत्री के साथ शासकीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा रहे सुबोध उनियाल का कहना है कि गैरसेंण कमिश्नरी का फैसला कैबिनेट का फैसला नहीं था और ऐसा लगता है कि वह लोकतंत्र का नहीं, बल्कि एक तंत्र का फैसला था। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा गैरसैंण कमिश्नरी की घोषणा पर सुबोध उनियाल अकेले कैबिनेट मंत्री नहीं है, जो सवाल उठा रहे हैं।
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले पर सवाल उठा रही हैं। रेखा आर्य का कहना है कि यह फैसला व्यावहारिक फैसला नहीं था। गैरसैंण को पहले जिला बनाया जाना चाहिए। लेकिन, सवाल यहय भी है कि जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह घोषणा की थी, तब कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, रेखा आर्य के साथ तमाम कैबिनेट मंत्री गैरसैंण में ही मौजूद थे। उस वक्त उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। देखना यह होगा कि आखिर गैरसैंण कमिश्नरी के फैसले पर तीरथ रावत सरकार कब अपना रुख साफ करती है और कब इस फैसले का वापस लेती है।