हरिद्वार: कुंभनगरी के लोगों के जेहन में किन्नरों ने अमिट छाप छोड़ दी। जूना और अग्नि अखाड़ा की पेशवाई में किन्नर पहली बार हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए। किन्नरों को देखने के लिए सड़कों पर जनसैलाब उमड़ा। किन्नरों का राजशाही वैभव और श्रृंगार देखकर हर कोई हैरान रहा। आचार्य महामंडलेश्वर ने ऊंट पर सवार होकर हाथ में तलवार लेकर अपने अखाड़े का नेतृत्व किया। अन्य किन्नर रथों पर सवार होकर निकले। इनकी एक झलक पाने के लिए बच्चों और बुजुर्गों से लेकर महिलाएं घंटों इंतजार में खड़ी रहीं।
ऊंट और किन्नरों के रथ सामने आते ही आशीर्वाद लेने की होड़ दिखी। पेशवाई में किन्नरों की संख्या भले ही करीब 200 रही, लेकिन दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। पांडेवाला से पेशवाई शुरू होने से पहले ही हजारों लोग वहां पहुंच गए थे। हर कोई किन्नरों की एक झलक के लिए बेताब दिखा। पेशवाई के अखाड़े की छावनी में प्रवेश करने तक हर जगह किन्नरों को देखने लोगों की भीड़ रही।
लोग अपने घरों और दुकानों की छतों और सड़कों पर किन्नरों के रथों पर नजर गढ़ाए थे। रथों के सामने से गुजरते ही हर कोई उनके राजशाही अंदाज देखकर दंग रहा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के माथे पर त्रिपुंड और गले में रुद्राक्ष और सोने की मालाएं थीं। हाथों की अधिकतर अंगुलियों में हीरे और मोती जड़ित अंगुठियां थी।