देहरादून: उत्तराखंड सरकार को उम्मीद थी कि केंद्र के बजट से उनको ग्रीन बोनस मिलेगा, लेकिन 15वें वित्त आयोग ने वनों को महत्व दिया है। अपनी अंतरिम रिपोर्ट में राज्य के वनों के लिए 7.50 प्रतिशत अनुदान का अधिमान (वेटेज) रखा गया था। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात यह रही कि केंद्र से 15 वित्त आयोग राज्य को राजस्व घाटे के साथ ही दूसरे क्षेत्रों के लिए अनुदान दिया है। राज्य को पांच साल के लिए 42,611 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है, इसमें 28,147 करोड़ रुपये राजस्व घाटा अनुदान के लिए है। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में पांच साल में 47,234 करोड़ रुपये अलग से दिए जाएंगे। इस 15वें वित्त से राज्य को 89,845 करोड़ दिए जाने की सिफारिश की है।
संसद में पेश आयोग की रिपोर्ट में राजस्व घाटा अनुदान देने का जिक्र है। यह करीब 42,614 करोड़ रुपये होगा। राजस्व घाटा अनुदान का सबसे बड़ा फायदा राज्य सरकार को यह है कि वह इस मद की धनराशि का इस्तेमाल अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकती है। पांच साल में उसे करीब सात हजार करोड़ रुपये सालाना मिलेंगे। अभी राज्य सरकार का प्लान का बजट करीब 11 हजार करोड़ रुपये है। सात हजार करोड़ की धनराशि का इस्तेमाल स्थानीय निकायों के विकास, आपदा प्रबंधन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, स्वास्थ्य, सांख्यिकीय, न्याय, उच्च शिक्षा, कृषि क्षेत्र के साथ विशेष आवश्यकताओं पर खर्च किया जा सकेगा।
राज्य को विशेष अनुदान के तौर पर केंद्र सरकार ने जमरानी और सौंग के लिए भी धनराशि का प्रावधान किया है। राज्य सरकार को जमरानी बांध परियोजना के लिए 950 करोड़ और सौंग बांध परियोजना के लिए 500 करोड़ की धनराशि मिलेगी। आयोग ने राज्य के दो बड़े पर्वतीय शहरों का भी ख्याल रखा है। उसने राज्य के लिए खास मद में पौड़ी और नैनीताल को सीवर लाइन और सवच्छता कार्य करने के लिए 50 करोड़ के अनुदान की सिफारिश की है।