देहरादून: कोरोना के जहां रोजाना नए मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, मौत के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना से मौतें कई तरह से होती है। इसमें जहां लोगों को रेस्पे्रट्री स्सिटम खराब हो जाता है। वहीं, हार्ट अटैक भी बड़ा कारण है। लेकिन, इनके अलावा जो सबसे बड़ा कारण है। वह है ऑक्सीजन का लेवल कम होना। शरीर में ऑक्सीजन की कमी मौत की सबसे बड़ी बजह बन रहा है।
उत्तराखंड में कोरोना से अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं। उनमें सबसे ज्यादा मौतें शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण उखड़ हुई हैं। कोरोना से ग्रसित मरीजों के मरने वालों की मेडिकल केस हिस्ट्री देखें तो इससे भी स्पष्ट होता है कि अधिकतर मरीज सांस संबंधी दिक्कत से मौत का शिकार हो रहे हैं। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर और फिजीशियन डॉ. कुमार कॉल ने बताया कि अस्पताल आने वाले 70 से 80 प्रतिशत मरीजों में सांस संबंधी दिक्कतें हैं। फेफड़ों में कोरोना संक्रमण और निमोनिया होने की वजह से मरीज प्राकृतिक ऑक्सीजन के साथ ही मशीनों से भी ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं।
फेफड़ों के ठीक से काम नहीं करने के कारण दिमाग को समुचित ऑक्सीजन नहीं मिलती है। इससे हार्ट, किडनी समेत शरीर के विभिन्न अंग शिथिल पड़ने लगते हैं। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 90 से अधिक होनी चाहिए। वैसे स्वस्थ शरीर में 95 से 100 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए। फेफड़ों में संक्रमण होने की वजह से फेफड़े प्राकृतिक ऑक्सीजन कम ले पाते हैं। इससे दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त रूप से नहीं पहुंच पाती। अगर किसी को कोरोना हुआ है या फिर कोरोना नहीं होने के बावजूद सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो उनको तत्काल अस्पताल जाकर डाॅक्टर को दिखाना चाहिए।