देहरादून: उत्तराखंड परिवहन विभाग को करीब 200 करोड़ का राजस्व घाटा झेलना पड़ा है। राजस्व जुटाने के दौरान विभाग को ऐसी जानकारी मिली है, जिसके बारे में जानकर विभाग भी हैरान है। दरअसल, लोगों ने वाहन खरीदते वक्त पता कहीं का दिया और खुद कहीं रह रहे हैं। इससे विभाग को राजस्व नहीं मिल पा रहा है।
प्रदेशभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें वहानों के पंजीकरण वाले पते पर मालिक रहते ही नहीं हैं। माना जा रहा है कि यानी टैक्स चोरी के लिए लोगों ने अपने वाहनों के पंजीकरण गलत पतों पर करा रखे हैं। अब विभाग के कर्मचारी इनकी तलाश में भटक रहे हैं। परिवहन विभाग को पिछले साल सितंबर तक बीते वर्ष की तुलना में 47.16 प्रतिशत राजस्व का नुकसान हुआ था। सबसे अधिक नुकसान टैक्स का हुआ है।
परिवहन विभाग को वाहनों के पंजीकरण, नवीनीकरण, लाइसेंस फीस और ग्रीन सेस आदि के रूप में राजस्व मिलता है। इस राजस्व से कर्मचारियों का वेतन देने के साथ ही सड़क सुरक्षा कार्य भी कराए जाते हैं। पिछले साल सितंबर तक विभाग को 200 करोड़ रुपये से ऊपर के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे अधिक 117 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान विभिन्न वाहनों से मिलने वाले टैक्स से हुआ है।
कोरोनाकाल के दौरान वाहनों का संचालन बहुत कम हुआ। ऐसे में व्यावसायिक वाहन चालकों की आर्थिक हालत को देखते हुए सरकार ने टैक्स माफ कर दिया था। इसके अलावा विभाग को विभिन्न माध्यमों से मिलने वाली फीस में 36 करोड़ और ड्राइविंग लाइसेंस से मिलने वाली फीस में भी 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।