देहरादून निवासी और तीन बहनों के इकलौते भाई शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की आज दूसरी बरसी है। आपको याद होगा की पुलवामा अटैक के एक दिन बाद यानी की 16 फरवरी, 2019 को देहरादून के चित्रेश बिष्ट शहीद हुए थे और चित्रेश बिष्ट के शहीद होने के एक दिन बाद यानी की 18 फरवरी को देहरादून निवासी ही मेजर मेजर विभूत ढौंडियाल शहीद हो गए थे। आतंकियों को मार गिराने के लिए सर्च ऑपरेशन चल रहा था जिसे मेजर विभूमित लीड कर रहे थे। वहीं 18 फरवरी को आतंकियों से लोहा लेते वो जम्मू कश्मीर के पिगलिंग इलाके में मेजर विभूति समेत चार जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान जवानों ने 2 आतंकियों को मार गिराया था। बेटे की शहादत की खबर सुन मां बेसुध हो गई थी। मां से पहले ये खबर छुपाई गई लेकिन जैसे जैसे घर में भीड़ लगनी शुरु हुई. मां को कुछ को गलत होने का अंदेशा हुआ और जब बेटे की शहादत का पता चला तो मां बेसुध हो गए. पत्नी दिल्ली में मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करती थी वो वहां से देहरादून पहुंची और अपने शहीद पति को देख गुमशुम हो गई।
तीन बहनों के इकलौते भाई थे मेजर विभूति, शादी के 8 महीने बाद शहीद हुए थे
बता दें कि निकिता कौल कश्मीरी पंडित थी जो कि दिल्ली में आकर बस गई थीं। दोनों की लव मैरिज थी। कश्मीर की रहने वालीं निकिता के परिवार ने आतंक को काफी करीब से देखा हुआ है। बता दें कि 34 वर्षीय मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे। वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे। मेजर विभूति सबसे छोटे थे। बहनों के लाडले आई थे। साल 2018 अप्रैल में उनकी शादी कश्मीरी पंडित निकीता कौल से हुई थी। पिताजी स्व ओमप्रकाश ढौंडियाल कंट्रोलर डिफेंस एकाउंट आफिस में थे। 2012 में उनका निधन हो गया था। घर में मां और दादी रहती थीं।
पति की राह पर चली पत्नी निकिता,मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ी
पति को शादी के 8 महीने बाद खोने के बाद भी निकिता ने हार नहीं मानी बल्कि निकिता पति विभूति के नक्शे कदम पर चलीं और उन्हें मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ सेना ज्वाइन की। शहीद पति के देश सेवा के जज्बे ने उनकी पत्नी नितिका के भीतर न सिर्फ नया रूप लिया, बल्कि सेना में भर्ती होने का उनका सफर अब अंतिम पड़ाव पर है। जी हां बता दें कि निकिता ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। जून में प्रशिक्षण पूरा कर वह भारतीय सेना का हिस्सा बन जाएंगी।बता दें कि पति की वीरता से अभिभूत वह उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सेना में अफसर बनने जा रही हैं।
मूल रुप से पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव के निवासी हैं शहीद मेजर
आपको बता दें कि शहीद मेजर का घर दून के नशेविला रोड़, डंगवाल मार्ग में है जहां उनकी मां और दादी रहती हैं। पत्नी दिल्ली रहती थी। जिस वक्त मेजर शहीद हुए घर में उनकी मां और दादी अकेली थी। वीएस ढौंडियाल 3 बहनों के अकेले भाई थे। इकलौते भाई थे जिसको अमेरिका में रहने वाली बहन आखिरी बार देख तक नहीं पाई। बता दें कि मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की दूसरी बहन प्रियंका अमेरिका में रहती हैं। उन्हें जब भाई की शहादत की सूचना मिली तो वह वापसी की कवायद में जुट गई लेकिन, टिकट नहीं मिल पाया। एक दिन देर से फ्लाइट का टिकट मिला।बहन प्रियंका अमेरिका से एक दिन बाद देहरादून पहुंचीं थीं.। मेजर ढौंडियाल पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव के मूल निवासी हैं।
निकिता जल्द पहनेंगी पति की तरह वर्दी
उनकी मजबूती की झलक निकिता के व्यक्तित्व पर भी नजर आती है। मुश्किल घड़ी में उन्होंने न केवल खुद को बल्कि परिवार को भी संभाला। निकिता के लिए शहीद पति के प्रति यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी और उनके करीब खुद को रखने का रास्ता। इससे पहले वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी। अब वो जल्द पति की तरह वर्दी पहनेंगी और देश की रक्षा करेंगे।