बागेश्वर : उत्तराखंड में बीते दिनों कई ट्रैकर समेत गाइड और पोर्टर लापता हो गए थे। इनमे से कई तो बिन पंजीकरण के गए थे जिस कारण जिला प्रशासन और वन विभाग को इनकी जानकारी और लोकेशन की जानकारी नहीं थी। अगर होती तो शायद इनकी जान बच पाती। चंद पैसे बचाने के लिए कइयों ने अपनी जान गवा दी।
बिन अनुमति के ट्रैकिंग पर जाने वालों की खैर नहीं
आपको बता दें कि नंदादेवी क्षेत्र नेशनल रिजर्व क्षेत्र है यहां बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी ट्रैकर नहीं जा सकता है। वन विभाग खरकिया और खाती में पंजीकरण कार्यालय खोलेगा। जिला प्रशासन से समन्वयक स्थापित कर प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। बिना अनुमति के ग्लेशियरों की तरफ जाने वालों पर आने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। इसके लिए जुर्माना और सजा दोनों तय की जाएगी। बिना पंजीकरण के जाने पर प्रशासन के पास रेस्क्यृ की स्थिति में कोई जानकारी नहीं होती। इससे रेस्क्यू कहां किसा दिशा में चलाएं कुछ पता नहीं होता और जान बचने की उम्मीद कम हो जाती है।
5 बंगाली ट्रैकरों की मौत से सनसनी
बता दें कि बीते दिनों सुंदरढूंगा की साहसिक यात्रा पर निकले 5 बंगाली ट्रैकरों की मौत की खबर से जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में हैं। हालांकि, हिमालयी क्षेत्र को जाने वालों के लिए कपकोट बाजार में पंजीकरण कार्यालय खोला गया है। यहां लगभग 150 रुपये का शुल्क देना होता है। लेकिन टूर ऑपरेटर पैसा बचाने के चक्कर में पंजीकरण नहीं कराते हैं। इसके कारण ट्रैकरों की सटीक जानकारी वन विभाग के पास भी नहीं होती है।
इतना जुर्माना वसूला जाएगा
वन विभाग से बिना अनुमति के नंदादेवी ईष्ट जाने वाले पर्वारोहियों पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। इसके नेशनल रिजर्व क्षेत्र का उल्लंघन करने पर विभिन्न धाराओं में छह माह से तीन वर्ष तक की सजा का भी प्राविधान है। इसके अलावा वन और अदालत में केस भी चलता है।
गाइड, पोर्टर, खच्चर चलाने वालों को नहीं किया जाता प्रशिक्षित
वहीं बता दें कि स्थानीय गाइड, पोर्टर, खच्चर चलाने वालों को प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। वह हिमालय में रहते हैं और उन्हें पल-पल बदलने वाले मौसम की जानकारी रहती है। अनुमति लेकर कीड़ा जड़ी आदि दोहन के लिए सैकड़ों ग्रामीण हर साल आते हैं। हालांकि टूर ऑपरेटरों के पास प्रशिक्षित गाइड आदि होते हैं। डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि नंदादेवी नेशनल रिजर्व क्षेत्र में बिना अनुमति के नहीं जा सकते हैं। सुंदरढूंगा क्षेत्र में गए पर्यटक किस टूर आपरेटर के माध्यम से पहुंचे। उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई तय है।