देहरादून: पूर्व सीएम हरीश रावत अपने बयानों से चर्चाओं में रहते हैं। पिछले कई दिनों से वो उत्तराखं डमें 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति को लेकर मुखर हैं। उन्हांेने चेहरे की राजनीति करने का सुझाव सामने रखा, तो उस पर बवाल हो गया। सियासी बवाल के बाद भी वो अपने बयान पर अडिग हैं। इस बीच उन्होंने सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने अपनी हार के लिए जुम्मे की नमाज के लिए एक घंटे का अवकाश देने वाले निर्णय को कारण बताया है।
अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि…हरिद्वार में मां गंगा जी के किनारे पंडित मदन मोहन मालवीय घाट पर खड़ा हूं। चारों तरफ कुछ अराध्य पुरुषों, भगवान कश्यप, भगवान बाल्मिकि, आदि के नाम से घाट बने हैं और इनमें से अधिकांश घाटों का नामकरण मेरे कार्यकाल में हुआ। अब कश्यप चैक क्या आकार लेगा! मैं नहीं कह सकता, लेकिन वो नामकरण भी मेरे कार्यकाल में हुआ।
फिर मन में विचार आ रहा है कि कैसे लोगों ने एक मजार में चादर चढ़ाते जाते वक्त पहनी मेरी टोपी को लेकर दुष्प्रचार प्रारंभ किया। मैंने 4 हिंदू बहन और भाइयों द्वारा मनाये जाने वाले त्यौहारों, जैसे सूर्य देव की आराधना का महापर्व, करवा चैथ सुहाग की मंगल कामना का महापर्व, भगवान रैदास के नाम पर अवकाश आदि के निर्णय भी मेरे कार्यकाल में लिये गये।
परशुराम जयंती के अवकाश का निर्णय लेते वक्त मैंने एक और निर्णय अपने को सभी धर्मों का आदर करने वाला दिखाने के लिये, साल भर में 1 दिन आने वाली अलविदा की नमाज, रमजान के आखिरी जुमे की नमाज के 1 घंटे के अवसर को भी मैंने कहा कि कोई भी अर्जी लगाकर के नमाज अता करने के लिये अवकाश ले सकता है।
1 घंटे का अवकाश और दुष्प्रचार इतना जबरदस्त कि मुझे उसी दुष्प्रचार के बल पर चुनावी हार झेलनी पड़ी। मैं, गंगा मां से यह प्रार्थना करने आया हूं कि सर्वधर्म समभाव का मां तेरा जो भाव है, तेरे जल से व्यक्ति आचमन भी करता है, वजू भी करता है। मेरा भी वही भाव बना रहे, मुझे अपना आशीर्वाद दो मां।