श्रीनगर गढ़वाल : उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार कम ज़रूर हुई है लेकिन इसका कहर अभी भी जारी है। उत्तराखंड में डेल्टा प्लस वेरियंट के मामले सामने आने लगे हैं। बाज़ारों और सार्वजनिक स्थानों पर बढ़ती भीड़ को देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि लोगों के जहन से कोरोना का डर खत्म हो गया है लेकिन यह अदृश्य युद्ध जारी है और कोरोना से इस युद्ध के लिए एसडीआरएफ हर घड़ी तैयार भी है। कोविड संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान एसडीआरएफ ने अहम जिम्मेदारी निभाई। लावारिश शवों का अंतिम संस्कार किया जिन्हें उनके अपनों ने ले जाने से इंकार कर दिया। वहीं एक बार फिर से एसडीआरएफ ने कोरोना संक्रमित मृतक का अंतिम संस्कार किया।
बता दें कि आज सोमवार 30 अगस्त को श्रीकोट पुलिस चौकी से सूचना मिली कि श्रीकोट बेस सरकारी अस्पताल में एक कोविड संक्रमित शव है जिसके परिजनों द्वारा दाह संस्कार किये जाने में असमर्थता व्यक्त की गई है। इस सूचना पर सेनानायक नवनीत सिंह के निर्देशानुसार एसडीआरएफ टीम मय पीपीई किट के उक्त शव के दाह संस्कार केलिए तुरन्त पहुँची। हेड कांस्टेबल दीपक मेहता के नेतृत्व में एसडीआरएफ टीम द्वारा परिजनों की उपस्थिति में विमल चंद डोभाल, उम्र 62 वर्ष, ग्राम गिडी पौड़ी गढ़वाल के शव का सामाजिक विधि-विधानों के अनुसार दाह संस्कार किया गया।
आपको बता दें कि कोरोना काल में एसडीआरएफ के जवानों ने कोविड संक्रमितों को घर-घर मेडिसिन पहुंचाई। कंट्रोल रूम के माध्यम से लोगों को आवश्यक सूचनाएं दी और हर जगह मदद के लिए पहुंची। कोरोना काल में कोविड संक्रमित शवों का दाह संस्कार का बीड़ा भी एसडीआरएफ ने उठाया, वो भी अपने खर्चे से। बता दें कि जिन कोरोना संक्रमित मृतकों के परिजन मौके पर उपस्थित नहीं थे या फिर जो दाह संस्कार करने में असमर्थ थे, उनके लिए अपने बने एसडीआरएफ के जवान। आज एक बार फिर से एसडीआरएफ ने मानवता की मिसाल पेश की है।