देहरादून: पूरे देश में कोविड-19 वैक्सीन से जहां कोरोना वायरस को हराने की आस जगी है। वहीं, देश के कई राज्यों में कोविड के टीके को लेकर सियासत भी शुरू को गई। उत्तराखंड भी इससे अछुता नहीं है। कोरोना को मात देने के लिए जहां सभी राज्यों में फ्रंट लाईन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई जा रही है।
टीकाकरण अभियान की शुरूआतत के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई। कांग्रेस ने कोविड-19 के टीके को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टीका लगाना चाहिए था। कांग्रेस प्रवक्ता गरीमा दसोनी को कहना है कि वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों ने भी वैक्सीन को लेकर ये दावा नहीं किया है कि वैक्सीन लगाने से कोविड नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि यह भी कंपनियों ने भी यह दावा नहीं किया कि वैक्सीन लगाने से साईड इफेक्ट नहीं होंगे। उनका कहना है कि जब पीएम और सीएम वैक्सीन लगाएंगे, तब तक वो वैक्सनी नहीं लगवाएंगे। उनका कहना है कि यह परिवार और परिजनों की जान का मामला है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि वह भाजपा की वैक्सीन नहीं लगाऐंगे। बिहार कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वैक्सीन को सबसे पहले पीएम मोदी को लगाना चाहिए। उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं ने वैक्सीन पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनको कहना है कि जब तक वैक्सीन पर पूरा भरोषा नहीं हो जाता तब तक वैक्सीन नहीं लगांएगे।
वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो लोग वैक्सीन को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। उनसे वह कहना चाहते हैं कि ऐसा नहीं चलेगा कि वह वैक्सीन नहीं लगाएंगे। वैज्ञानिकों के द्वारा बनाई गई वैक्सीन है। पूरे परीक्षण के बाद मंजूर हुई है। इसलिए हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमारे वैज्ञानिकों ने कोविड-19 वैक्सीन बनाई है, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है।
उत्तराखंड में अभी भले की वैक्सीन फ्रंटलाईन में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को लगाई जा रही हो, लेकिन जिस तरह से सियासत वैक्सीन को लेकर देखी जा रही है, वह ठीक नहीं है। क्योंकि वैक्सीन के विरोध से वैक्सीन लगाने वाले कार्मिकों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा। साथ ही नेताओं को अगर विरोध करना ही है तो वो तब करें, जब उनकी बारी आए।