काशीपुर: 2022 के चुनावी संग्राम में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। चुनावी समीकरण बनने और बिगड़ने में आखिरी चा-पांच दिन ही अहम साबित होते हैं। ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर सीट पर 20 साल बाद पहली बार बदलाव हुआ है। यहां से हरभजन सिंह चीमा ही चुनाव जीतते आ रहे थे। लेकिन, इस बार उनकी जगह उनके बेटे मैदान में हैं।
20 साल से हरभजन सिंह चीमा काशीपुर से चुनाव जीतते आ रहे हैं। एक बार को छोड़कर हर बार हमेशा मुकाबला सीधा रहा है। भाजपा और कांग्रेस में टक्कर होती रही है। 2017 के चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला हुआ था। इस बार अकाली के भाजपा से अलग होने के बाद कहा जा रहा था कि शायद हरभजन सिंह चीमा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
समीकरण गड़बड़ाता देख चीमा ने खुद के बजाय अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा का नाम आगे बढ़ाया। त्रिलोक के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा से टिकट पाना था। भाजपा में टिकट के नौ दावेदार हो गए थे। टिकट त्रिलोक को दिया गया।
यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन गणित तब लड़खड़ाया जब 70 से ज्यादा भाजपाइयों ने सामूहिक इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर दिए। भाजपा का संगठन त्रिलोक के खिलाफ खड़ा हो गया। इसके बाद चर्चा होने लगी कि भाजपा प्रत्याशी की राह इस बार आसान नहीं होगी।
कांग्रेस ने बगावत साधने के लिए पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद सिंह को टिकट देकर पार्टी में बगावत होने से रोक ली। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक बाली शुरू से खुद को जनता का सेवक बताते रहे हैं। उनकी पकड़ भी ठीक-ठाक मानी जाती है। ऐसे में मुकाबला केवल भाजपा, कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि त्रिकोणीय नजर आ रहा है।
175420 मतदातावों वाले इस सीट पर किसान आंदोलन का भी खासा असर नजर आ सकता है। हैं। किसान बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां भाजपा के लिए दिक्कतें हो सकती हैं। लेकिन, देखने वाली यह होगी कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी किसान वोटों को अपने पक्ष कर सकते हैं।