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देहरादून: 2022 की बिसात में आज हम आपको प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बनते बिगड़ते समीकरणों के बारे में बता रहे हैं। 2022 की बिसात में मुकाबला अपने नाम करने के लिए अब आखिरी तीन दिन बचे हैं। राजनीतिक दलों और निर्दलीय लोगों ने पूरा जोर लगा दिया है। सहसपुर विधानसभा सीट पर हमेशा से ही मुख्य मुकाबला रहा है।
14 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से पहले अंतिम दौरे में पहुंचे प्रचार में प्रत्याशी और राजनीतिक दल पूरी ताकत झोंके हुए है। ऐसे में विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण भी तेज़ी से बनते बिगड़ते नज़र आ रहे हैं। 2022 की बिसात में इस बार आम आदमी पार्टी और सीपीआईएम से मुस्लिम प्रत्याशी के मैदान में होने से दोनों राष्ट्रीय दलों की चुनौती बढ़ गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों सियासी दलों के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए त्रिकोणीय समीकरण बनकर उभर रहे हैं। सहसपुर विधानसभा सीट पर एक लाख 71 हज़ार वोटर्स हैं।
2022 की बिसात में इस बार इस सीट से 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2002, 2007 और 2012 में इस सीट पर भाजपा का कब्ज़ा है। भाजपा से उम्मीदवार के तौर पर दो बार विधायक रहे सहदेव पुंडीर को इस बार भी बीजेपी ने टिकट दिया है। आर्येन्द्र शर्मा 2012 में कांग्रेस और 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
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कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर आर्येन्द ने 20 हज़ार 574 और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 21 हज़ार 888 वोट हासिल किए थे। इस सीट पर पहाड़ी मूल के वोटर्स की तादाद करीब 35 प्रतिशत है। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में ये सीट 18 हज़ार 863 वोट के अंतर से भाजपा ने ये सीट जीती थी। उस वक्त बीजेपी के सहदेव पुंडीर को 44 हज़ार 055 वोट मिले जबकि कांग्रेस के किशोर उपाध्याय को 25 हज़ार 192 वोट मिले।
भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दलों के उम्मीदवार पर्वतीय मूल के साथ ही अन्य वर्गों में पकड़ बनाकर जातीय समीकरण साधने की कोशिशों में हैं। इसके लिए बकायदा सियासी दलों ने स्टार प्रचारकों की भारी भरकम फौज भी चुनावी रण में उतार रखी है। इस मर्तबा सहसपुर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय दलों के साथ आप और सीपीआईएम के मैदान में होने से ज़रुर मुकाबला त्रिकोणीय होता नज़र आ रहा है।